Araria

Wednesday, December 15, 2010

पीएचसी: मरीजों की भीड़ बढ़ी पर सुविधाएं नदारद

कुर्साकांटा(अररिया),निसं: स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के साथ ही अस्पतालों में मरीजों की भीड़ उमड़ने लगी है। किंतु चिकित्सकों व संसाधनों की कमी के कारण मरीजों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। कुर्साकांटा पीएचसी में खासकर प्रसव कराने आने वाली महिला मरीजों को काफी परेशानी हो रही है।
आज सभी अस्पतालों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जननी एवं बाल सुरक्षा योजना के तहत सुरक्षित प्रसव कराने हेतु जो सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही है उसमें मातृ एवं शिश मृत्यु दर में काफी सुधार हुआ है। राज्य सरकार द्वारा सुरक्षित प्रसव कराने के लिए प्रोत्साहन राशि के रूप में 1400 रूपये भी दिया जाता है। इतना ही नहीं आशा कर्मियों को भी अपने पोषक क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं का प्रसव अस्पताल लाकर कराने के लिए प्रति प्रसव 500 रूपये दिया जा रहा है। बावजूद बिहार जैसे अत्यन्त पिछड़े प्रदेश में शिशु मृत्यु दर औसतन अभी भी 300 से अधिक है।
सरकार के प्रयास से व्यवस्था में सुधार तो हुआ तथा इसी वजह से अस्पतालों में मरीजों की भीड़ भी बढ़ी। लेकिन जिस अनुपात में अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ी स्थानीय अस्पताल में उस अनुपात में सुविधा उपलब्ध नहीं हो सकी है। अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में बेड तक उपलब्ध नहीं है। वहीं चिकित्सक की कमी के कारण मरीजों को समुचित स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाती है। बेड की कमी के कारण प्रसव के उपरांत पीड़ितों को फर्श पर लिटाना अस्पताल कर्मियों की मजबूरी है। कठिन परिस्थिति में सुविधा के अभाव में प्रसुता को रेफर कर दिया जाता है। यहां आपातकालीन व्यवस्था का अभाव है। न तो ऑक्सीजन उपलब्ध है न रक्त और न ही जांच के लिए आवश्यक उपकरण। ज्ञात हो कि प्रसव सुविधा को चुस्त दुरूस्त करने के लिए मातृत्व सुरक्षा प्रदान के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 750 करोड़ का लक्ष्य रखा गया है। परंतु अस्पताल में प्रसव कराने पहुंचने वाली महिलाओं में बढोतरी के अनुपात में चिकित्सकों की कमी दिख रहा है। प्रखंड के तेरह पंचायतों के 2 लाख से अधिक की आबादी इसी पीएचसी पर निर्भर है। जहां तीन चिकित्सक कार्यरत हैं। प्रभारी चिकित्सा पदा. डा. राजेन्द्र कुमार एवं प्रबंधक प्रेरणा वर्मा ने बताया कि प्रतिदिन आउटडोर में औसतन 150 मरीजों का इलाज किया जाता है। प्रसुता की संख्या में वृद्धि के बाबत उन्होंने कहा कि 2008 में 1165 महिलाओं का प्रसव हुआ। वहीं 09 में 2769 एवं 2010 के नवंबर माह तक 500 से अधिक प्रसव कराया जा चुका है।

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