Araria

Wednesday, January 5, 2011

सत्ता व शासन के प्रयासों से जग रही उम्मीद

अशोक झा  : सड़क चौड़ीकरण, शहर सौंदर्यीकरण व कचरा प्रबंधन को अगर नगर विकास का पैमाना माना जाय तो अररिया शहर कहीं नहीं ठहरता। लेकिन सरकार व प्रशासन के प्रयासों से नये साल के लिये उम्मीद की किरण जरूर निकलती है।
वर्ष 2010 में नगर विकास के नाम पर केवल वायदों का खेल होता रहा। धरातल पर दो चार टूटे नालों के सिवा कुछ नहीं उतरा। लिहाजा शहर के लुक में कोई परिवर्तन नहीं हो पाया। लेकिन जीरो माइल से गोढ़ी चौक तक सड़के के टू लेन बनने व अन्य सड़कों के निर्माण को ले प्रारंभिक चहल पहल से माहौल में उत्साह जरूर बना रहा।
अररिया शहर के साथ सबसे बड़ी विडंबना यह है कि यहां विकास को ले समेकित प्रयास नहीं होता। सब अपनी ही गाते हैं। शहर विकास को ले कोई मास्टर प्लान नहीं है। नप के अधिकारियों से पूछिये तो यही जबाब कि मास्टर प्लान शीघ्र बनाया जायेगा। शहर के विकास को ले योजनाएं आती हैं, लेकिन उन्हें शहर विकास के ध्यान से नहीं, वार्ड के हिसाब से बांट दिया जाता है।
जानकारी के मुताबिक बीते वर्ष शहर में तकरीबन चार करोड़ की विकास योजनाएं प्रारंभ की गयीं। जिनमें से अधिकांश सड़क निर्माण से संबंधित हैं तथा आधी से अधिक पूरी हो गयी बतायी जाती हैं।
अभी तक इस शहर में बिल्डर्स नहीं आये। हालांकि सिग्नस बिहार जैसी कुछ कंपनियां फारबिसगंज में जरूर सक्रिय हैं। वहीं, शहर में अंबेदकर आवास योजना के तहत शहरी गरीबों के लिये घर बनाये जाने थे। लेकिन उच्च न्यायालय में जन हित याचिका दायर हो जाने के कारण योजना पर फिलहाल रोक लगी हुई है।
अररिया शहर में जल निकासी दुखती रग है। शहर में अब तक पांच करोड़ से अधिक की राशि नाला निर्माण पर व्यय हो चुकी है। लेकिन नब्बे फीसदी नालों से एक बूंद पानी नहीं बहता। सूत्रों की मानें तो नाला निर्माण में जम कर धांधली व भ्रष्टाचार हुआ है। चालू साल में भी करोड़ों की लागत से नाले बन रहे बताये जाते हैं। लेकिन गुणवत्ता की कमी साफ झलकती है। वहीं, कई स्थानों पर नाले क्षतिग्रस्त भी हो गये हैं।
पार्क व जल निकासी की व्यवस्था भले ही अब तक सपना बनी हो, कचरा प्रबंधन के लिये 1.20 करोड़ का आवंटन उपलब्ध रहने के बावजूद कचरा संग्रहण व प्रसंस्करण केंद्र बनाने की योजना पर काम शुरू नहीं हो पाया है। हालांकि नप के कार्यपालक पदाधिकारी अनिल कुमार का कहना है कि नये साल में कचरा प्रबंधन की व्यवस्था मुकम्मल कर ली जायेगी।
शहर में सफाई की व्यवस्था मुख्य सड़क व कुछ वीआइपी लोगों तक ही सीमित है। दर्जनों सड़कें ऐसी हैं, जिन पर नप का कचरा वाहन कभी नहीं जाता।

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