Araria

Tuesday, February 15, 2011

लहलहाते गेहूं के साथ हिलोरें मार रहे किसानों के अरमान


बसैटी (अररिया) : खेतों में लहलहाते गेहूं व मकई के हरे-भरे पौधे देख यूं तो किसानों के चेहरे खिलने लगे हैं लेकिन प्राकृतिक प्रकोप का डर अब भी उन्हें सता रहा है। उन्हें डर है कि कहीं फिर प्राकृतिक कहर उनके सपनों को चकनाचूर न कर दे। विगत तीन वर्षो से कभी चक्रवाती तूफान तो कभी बाढ़ तो सुखाड़ तो कभी नकली खाद बीज के कारण प्रखंड क्षेत्र के किसान बर्बाद होते आये हैं। जिस कारण वे महाजन व बैंकों के कर्ज तले दबे हुए हैं। पिछले वर्ष चक्रवाती तुफान व बाली में दाना नहीं रहने के कारण सरकार क्षतिपूर्ति राशि देने कि घोषणा की थी परंतु किसानों की मानें तो घोषणा ढाक के तीन पात साबित हुई। किसान विमल चौधरी, मुबारक, मुस्ताक अंसारी, परमानंद विश्वास आदि बताते हैं कि कई वर्षो के बाद इस बार गेहूं व मकई का पौधा अच्छा है। उपज भी अच्छी होगी। नहरों पानी नहीं रहने के कारण पंप सेट से पानी पटाना पड़ा है। लेकिन उमीद है कि उपज भी अच्छी होगी। भगवान चाहा तो बहुत हद तक कर्ज से मुक्त हो सकेंगे।
इधर, अंचलाधिकारी राम विलास झा ने भी कहा है कि गेहूं व मकई के पौधे अच्छे है। श्री झा ने बताया कि पिछले वर्ष आकड़े से अधिक किसानों के आवेदन मिलने के कारण छतिपूर्ति राशि नहीं वितरण की जा सकी।

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