Araria

Monday, February 7, 2011

सेखड़ों को क्यों नहीं मिल रहा जाति प्रमाण पत्र?


अररिया : महासम्मेलन के माध्यम से अल्पसंख्यक समुदाय की सेखड़ा बिरादरी ने कई सवाल खड़े किये हैं। अपनी उपेक्षा के खिलाफ आवाज बुलंद करने के साथ ही जातीय अपमान की ज्वाला से दूर करने का आह्वान भी रविवार के महासम्मेलन में उभर कर सामने आया। इस दौरान अपनी तरक्की को ले संघर्ष करने के लिये सब तैयार दिखे। खास कर सेखड़ा युवा खूब सक्रिय नजर आये।
जिले में चार लाख से अधिक सेखड़ा आबादी के बावजूद शिक्षा, सरकारी नौकरी व रोजगार के मामले में उन्हें समुचित स्थान नहीं मिल पाया है। सम्म्ेलन में इन सबके खिलाफ लड़ने का आह्वान तो हुआ ही, उनकी भी पोल खोली गयी जो सेखड़ा बिरादरी को अति पिछड़ी जाति का प्रमाण पत्र नहीं देने के लिये जिम्मेदार हैं।
याद रहे कि पहले सेखड़ों को सीएस खतियान के आधार पर पिछड़ी जाति का प्रमाण पत्र मिलता था। इस संबंध में तत्कालीन कलेक्टर बिम्बाधार प्रधान ने आदेश भी दिये थे। लेकिन यह किसकी साजिश हुई कि सेखड़ों को जाति प्रमाण पत्र मिलना बंद हो गया?
साइड स्टोरी
आदर सूचक शब्द है शेख, लेकिन..?
अररिया, संसू: किसी के नाम के पहले शेख शब्द का इस्तेमाल आदर सूचक होता है। लेकिन नाम के पहले लगे शब्द को जाति से जोड़ना अज्ञानता ही माना जायेगा। यह कहना है सेखड़ा बिरादरी के वयोवृद्ध नेता व बिहार के पूर्व मंत्री अजीम उद्दीन का।
सेखड़ा महासम्मेलन के लिये अपने अध्यक्षीय भाषण में अजीमउद्दीन ने कहा है कि शेख शब्द की आड़ में सेखड़ों को उनके आरक्षण संबंधी हक से महरूम नहीं किया जा सकता। झूठ व फरेब के कुछ खिलाड़ी सेखड़ा जाति को शेख बनाने पर तुले हैं तथा कुछ सरकारी आफिसर भी इस फरेब में मोहरा बन रहे हैं।

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