अररिया : यह कहानी एक श्रुतिधर की है। वह बचपन में बहुत खिलंदड़ा था, लेकिन जो सुनता याद हो जाता। याद रखने के इसी गुण ने शायद उसे मैट्रिक की परीक्षा में बिहार के टॉप 10 में ला दिया। उसका नाम है सौरभ सुमन, पिता प्रो. इंद्रेश्वर मिश्रा व माता पूनम मिश्रा, निवासी आदर्श नगर अररिया।
सौरभ के मैट्रिक परीक्षा में प्रदेश में छठां स्थान पर आने से पूरा परिवार खुश है। वित्त रहित शिक्षा नीति की कठिन व लंबी तपस्या में तपे प्रो. इंद्रेश्वर मिश्रा के लिए यह खबर किसी अमृत वर्षा से कम नहीं। सौरभ की सफलता की पहली सूचना उन्हें दैनिक जागरण द्वारा ही मिली। सौरभ की बहन मीनू मिश्रा व मां पूनम मिश्रा कहती हैं कि यह थोड़ा ही पढ़ता, लेकिन जो पढ़ता वह याद हो जाता। कम पढ़ने की वजह से डांटते तो यही कहता कि देखो तुमसे बढि़या जरूर करेंगे। ..ठीक है, तब काली मंदिर में पांच किलो लड्डू चढ़ा देंगे।
सौरभ की तमन्ना आइआइटी इंजीनियर बनने की है। भैया शेखर सुमन की भी यही इच्छा है। सौरभ ने पटना के सुपर थर्टी की लिखित परीक्षा भी पास कर ली है। अभी बनारस के बीएचयु में सीएचएस में प्लस टू का इंट्रेंस टेस्ट देकर आया है। सौरभ के शब्दों में : पहले इंजीनियर बनूंगा, फिर आइएएस बनना है।
मैट्रिक परीक्षा की तैयारी के लिए दिन में सात आठ घंटे की समयबद्ध पढ़ाई करने वाले तथा उच्च विद्यालय अररिया के छात्र सौरभ का जोर गणित व साइंस विषयों पर अधिक रहा। अपनी सफलता के लिए वह अवकाश प्राप्त शिक्षक नरेंद्र कुमार सिंह व पं.बालेश्वर झा के प्रति कृतज्ञ है।

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