Araria

Thursday, June 16, 2011

अररिया: सौ से अधिक घाटों पर चलती हैं निजी नाव


-हो रहा यात्रियों का आर्थिक शोषण
-निजी नावों में यात्री सुरक्षा से खिलवाड़
अररिया : अररिया जिले के सौ से अधिक नदी घाटों पर निजी नावें चलती हैं। ये पंजीकृत भी नहीं हैं तथा इनके परिचालन में सुरक्षा मानकों का दूर दूर तक पालन नहीं होता। इन नावों पर यात्रियों से मनमाना भाड़ा वसूला जाता है। इतना ही नहीं सरकारी नावों के अभाव में बाढ़ बरसात के दिनों में लोग निजी नाव या केला के थंभ पर धार पार करते हैं।
रामपुर घाट पर मंगलवार को दुर्घटना ग्रस्त हुई नाव भी निजी थी और प्रशासन के पास पंजीकृत नहीं थी। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक नाव बुरी तरह जर्जर थी तथा गहनी के अभाव में उसमें पानी रिस रहा था। नाव जब घाट से खुली तो उसमें पानी भरने लगा। यह देख लोग धड़फड़ाने लगे। इससे नाव का संतुलन बिगड़ गया और वह डूब गयी।
जानकारों की मानें तो जिले में बाढ़ आपदा से लड़ने की प्रशासनिक तैयारी अक्सर कागजी ही रहती है। कोसी की राष्ट्रीय आपदा के वक्त भी ऐसा ही था और जब अचानक जल प्रलय आ गया था तो प्रशासन के पास दो चार भी अच्छी नावें भी नहीं थी। बाहर के जिलों से नाव मंगा कर काम चलाया गया था।
नावों की किल्लत इस बार भी है। जिला आपदा प्रबंधन पदाधिकारी के अनुसार जिले में कुल 155 नयी नाव क्रय करने की जरूरत है। लेकिन इसके लिए प्रशासन के पास पर्याप्त फंड नहीं है।
जिले में सौ से अधिक घाट ऐसे हैं जहां निजी नावें चलती हैं। ये जर्जर व अपंजीकृत हैं। वहीं, अधिक पैसे की लालच में इन पर यात्रियों को कोंच दिया जाता है। इनके अलावा दर्जनों ऐसे घाट हैं जहां सरकारी नावें हैं ही नहीं। इनमें रानीगंज प्रखंड अंतर्गत फरियानी नदी पर धुजा घाट, बरहरा घाट, नसीर घाट, बालू घाट, उत्तर कोड़िया घाट व दक्षिण कोड़िया घाट, कमला नदी पर काला बलुआ से पूरब ठोंगहा घाट आदि प्रमुख हैं। वहीं, अररिया व जोकीहाट प्रखंडों में तो स्थिति भयावह है। बकरा नदी के बेंहगी घाट में बड़ी संख्या में लोग पार करते हैं, लेकिन नाव जर्जर व बेकार है। रमराय व भंगिया के बीच बकरा धार में तथा फरासूत रमराय के बीच मरना धार में कोई नाव ही नही है। इसके अलावा दर्जनों की संख्या में अन्य प्रखंडों में भी ऐसे घाट हैं जहां नाव की जरूरत है पर वहां या तो नावें हैं ही नहीं या हैं तो जर्जर व बेकार।

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