Araria

Friday, June 17, 2011

सत्संग से बड़ा कोई सुख नही : सुधीर जी


-कुआड़ी में नौ दिवसीय रामकथा प्रवचन प्रारंभ
कुर्साकांटा (अररिया) : संसार में दरिद्रता से बढ़कर कोई दुख नहीं होता। परंतु जब मनुष्य का संतो से मिलन होता है तब उसे अनुभव होता है कि सत्संग से बड़ा कोई सुख नहीं है। रामचरित मानस एक ऐसा सदग्रंथ है जो मानव को जीवन गृहस्थ आश्रम में रहते हुए मर्यादा का सीख देता है। उक्त बातें गुरुवार को कुआड़ी में नौ दिवसीय रामकथा प्रवचन के दौरान भक्तजनों को संबोधित करते हुए परमपूज्य संत श्री सुधीर जी महाराज ने कही। ग्यारह जून से प्रारंभ इस रामकथा अमृत वर्षा में हजारों भक्तजन भक्ति रस में गोते लगा रहे हैं। बाबा सुधीर ने कहा कि रामचरित मानस गागर में सागर है। इसमें मातृ प्रेम, पितृ आज्ञा, मातृ आज्ञा पति, एक पत्‍‌नीव्रत व अपने अराध्य के प्रति भक्ति भाव का जो उदाहरण प्रस्तुत किया गया है, वह वास्तव में अद्वितीय एवं अनुकरणीय है। मौके पर भक्तजन भानू प्रसाद गुप्त, रघु सिंह, संजय सिंह, कृष्ण चंद्र गुप्त, सीताराम गुप्त आदि ने कहा कि हम बाबा सुधीर के कृतज्ञ हैं जिन्होंने हमें क‌र्त्तव्य एवं मर्यादा का बोध कराया है।

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