Araria

Sunday, June 26, 2011

यहां मुर्दो के लिये नहीं मिलते वाहन


फारबिसगंज : जिले के अस्पतालों, सड़कों पर या फिर घरों में दम तोड़ने वालों को मौत के बाद भी बड़ी समस्या से जूझना पड़ता है। जिले में मुदरें को ढोने वाले शव वाहन उपलब्ध नहीं हैं। एंबुलेंस में मुर्दो को ले जाने की मनाही है और प्राइवेट गाड़ी शवों को ढोना नहीं चाहते। मौत के गम में डूबे परिजनों के लिए तथा पुलिस के लिये बड़ी समस्या तब खड़ी हो जाती है जब उन्हें शव को पोस्टमार्टम कराने के लिये जिला के अलग-अलग हिस्सों से जिला मुख्यालय ले जाना पड़ता है। अधिकांश मामलों में शवों को पोस्टमार्टम हेतु ले जाने की जवाबदेही पुलिस की होती है। हालांकि शव को ले जाने के लिए वाहन का इंतजाम करने की परेशानी मृतक के परिजनों की भी कम नहीं होती है। लेकिन शवों को ढोने के लिये अधिकतर वाहन मालिक तैयार नहीं होते। पुलिस के खौफ अथवा दबाव में ही प्राइवेट वाहन की व्यवस्था हो पाती है।
फारबिसगंज एसडीपीओ विकास कुमार ने भी माना कि शवों को ढोने में वाहन की व्यवस्था करना पुलिस के लिये एक बड़ी समस्या है। उन्होंने कहा कि इसके लिये सभी थानों में फंड की व्यवस्था रहती है लेकिन आसानी से वाहन नही मिल पाता है।
उधर अररिया के सिविल सर्जन डा. सीके सिंह ने कहा कि जिला में शव वाहन उपलब्ध नही रहने के कारण बड़ी समस्या उत्पन्न होती है। हालांकि उन्होंने कहा कि रोगी कल्याण समिति अथवा जन प्रतिनिधियों, एनजीओ या रेड क्रास के द्वारा शव वाहन की व्यवस्था की जा सकती है। कई बड़े शहरों में मेडिकल कालेजों में, बड़े अस्पतालों में खुद के द्वारा अथवा सरकारी, गैर सरकारी संगठनों के द्वारा शव वाहन की व्यवस्था रहती है। डा. सिंह ने कहा कि वे प्रयास करेंगे कि रोगी कल्याण समिति के माध्यम से शव वाहन उपलब्ध हो सके।

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