Araria

Friday, December 23, 2011

नदी पार करने को बैलगाड़ी का ही सहारा

कुर्साकांटा (अररिया) : प्रखंड क्षेत्र के सुखसैना, पहुंसी, हरिरा, चैता जैसे दर्जनों गांवों के लोगों को नदी पार करने के लिए आज भी बैलगाड़ी का सहारा लेना पड़ता है। इसका प्रमुख कारण है, भलुआ और चैता नदी एवं ग्रामीण सड़कों पर पुलों की कमी। ब्रिटिश जमाने में बने काठ पुल वर्षो पूर्व ध्वस्त हो चुके हैं। अब लोगों को पैदल व गाड़ी से पार करना पड़ता है। भलुआ और चैता नदी में पुलों के बन जाने से सुखसैना, हरिरा, चैता, पहुंसी, डुयरिया, डुब्बा टोला आशा भाग बटराहा सहित दर्जनों गांवों की तस्वीर बदल सकती है। लेकिन खराब सड़क और नदी पर पुल नहीं रहने के कारण लोगों को बेहद परेशानी उठानी पड़ती है।

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