Araria

Saturday, January 14, 2012

21 वर्षो के संघर्ष के बाद अररिया बना था जिला


अररिया : नेपाल राष्ट्र के अंतराष्ट्रीय सीमा पर बसा बिहार का यह अररिया को 21 वर्षो की लड़ाई के बाद जिला का दर्जा मिला था। अररिया को जिला का दर्जा दिलाने के लिए यहां के लोगों ने दृढ़ एकता का परिचय दिखाते हुए जमकर आंदोलन किया था। जिला बनाने के लिए छेड़े गये आंदोलन की खास बात यह थी कि लोगों ने दलीय मतभेदों को भूलाकर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता व कार्यकर्ता एक मंच पर जुटे थे। इनके साथ जिले के आम-अवाम, किसानों की भीड़, बुद्धिजीवी, अधिवक्ताओं, व्यवसायियों ने भी अपनी चट्टानी एकता का प्रदर्शन किया था। अररिया को 1864 ई. में अनुमंडल का दर्जा मिला था। लोगों को जिला का दर्जा के लिए पूरे 126 वर्ष का इंतजार करना पड़ा। अररिया को जिला का दर्जा दिलाने के लिए अररिया जिला बनाओं संघर्ष समिति का गठन कर आंदोलन का बिगुल फूंका गया था। शहर के चांदनी चौक पर स्थित राजकीयकृत उच्च विद्यालय में शहर के बुद्धिजीवियों की बैठक हुई। जिसमें अधिवक्ता व उस समय के नगर पालिका चैयरमेन हंसराज प्रसाद को संघर्ष समिति का संयोजक चुना गया था। इसके बाद मानों अररिया को जिला का दर्जा दिलाने के लिए प्रखंड से अनुमंडल स्तर तक आंदोलन का सिलसिला शुरू हो गया। कई बार ट्रेनों का परिचालन ठप किया गया तो चांदनी चौक पर बस को भी फूंका गया। सैकड़ों बार संघर्ष समिति के बैनर तले धरना प्रदर्शन, मशाल जुलूस के साथ-साथ प्रखंड स्तर पर जनसभा का आयोजन चलता रहा। हजारों लोगों ने एक साथ हस्ताक्षर युक्त पत्र मुख्यमंत्री को लिखकर अररिया को जिला का दर्जा देने की मांग की। इस दौरान संघर्ष समिति एवं और कई लोगों के अपर पुलिस ने फौजदारी मुकदमा भी किया। जिला को दर्जा दिलाने के लिए शिष्टमंडल ने चार तत्कालीन मुख्यमंत्री क्रमश: दारोगा प्रसाद राय, केदार पांडे, अब्दूल गफूर एवं डा. जगन्नाथ मिश्र ने कई बार मुलाकार की थी। आखिरकार तत्कालीन सीएम डा. जगन्नाथ मिश्र ने 14 जनवरी 1990 मकर संक्रांति के दिन अररिया को जिला घोषित करते हुए इसका उद्घाटन किया था।
संघर्ष समिति के तत्कालीन संयोजक रहे हंसराज प्रसाद बताते हैं कि जिला को दर्जा दिलाने के लिए प्रख्यात साहित्यकार फणीश्वर नाथ रेणु, तत्कालीन केन्द्रीय राज्य मंत्री डुमर लाल बैठा, तस्लीम उद्दीन, पूर्व मंत्री सरयुग मिश्र, सत्य नारायण यादव, पूर्व सांसद हलीमउद्दीन अहमद, डा. आजम, बुन्देल पासवान, मो. यासीन, मायानंद ठाकुर, रामेश्वर साहब, लाल चंद सहनी, घासीराम तपाड़िया, एडवोकेट अनिल कुमार दास, रूद्रानंद मंडल, रघुनाथ राय, रामाधार द्विवेदी का योगदान सराहनीय रहा। श्री प्रसाद ने यह भी कहा कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री तस्लीमउद्दीन, मो. ताहा, समाज सेवी विरेन्द्र शरण, गौरीशंकर सिंह यादव एवं वरिष्ठ पत्रकार डा. नवल किशोर दास आदि का उल्लेखनीय योगदान को भुलाया नही जा सकता है।

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