Araria

Thursday, January 5, 2012

भ्रष्टाचार के वायरस शहर सौंदर्यीकरण में बाधक


अररिया: विगत एक साल में अररिया जिले के शहरों की तस्वीर नहीं बदल पायी है। प्रयास जरूर हो रहे हैं। लेकिन भ्रष्टाचार का वायरस इन प्रयासों को करप्ट कर रहा है। नाला निर्माण, कचरा प्रबंधन, सौंदर्यीकरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर इस बार भी ब्रेक लगा रहा। हालांकि अररिया में छठ घाट निर्माण व सफाई के परिदृश्य में सुधार ऐसे बिंदुजरूर हैं जिन पर नप अपनी पीठ थपथपा सकता है। वहीं, तिरसुलिया घाट नदी तट पर पार्क निर्माण तथा स्टेशन रोड के जीर्णोद्धार की योजनाओं पर डीपीआर का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है।
इधर, शहरी क्षेत्र में पांच दर्जन योजनाएं शुरू की गयी, लेकिन इनमें से तकरीबन दो दर्जन अभी भी अपूर्ण हैं। आधा दर्जन योजनाओं पर काम भी नहीं शुरू हुआ है।
शहर में इस बार कई सड़कें बनी। पुरानी कालीबाजार की सड़क 28 साल से नहीं बनी थी। मंदिर चौक से महावीर मंदिर चौक तक जाने वाली इस पथ का निर्माण लगभग तीस लाख की लागत से पूरा कर लिया गया है।
लेकिन शहर के पूर्वी हिस्से में परमान की बाढ़ से बचाव व सुरक्षा को ले रिंग रोड बनाने की मांग इस बार भी पूरी नहीं हुई। तिरसुलिया घाट पर पुल बनाने का कार्य भी संचिकाओं में ही उलझा रहा।
वहीं, अररिया व फारबिसगंज से गुजरने वाली शानदार फोर लेन हाइवे का निर्माण होने से शहर की सुंदरता में इजाफा हुआ है। उधर, जोगबनी में लगभग सात सौ करोड़ की लागत से इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट का निर्माण होने के बाद इस सीमावर्ती के सौंदर्यीकरण में बेहद इजाफा होगा। यह कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है।
लेकिन शहरी आवास योजनाओं पर इस बार भी ग्रहण लगा रहा। अररिया नगर परिषद से 750 समेकित आवासों का प्रस्ताव तीन साल से मंजूरी के लिए विभाग के पास पड़ा हुआ है।
शहरी क्षेत्र में गृह निर्माण करने के लिए इस साल दो बिल्डर्स जिले में आये। सिग्नस बिहार नामक कंपनी ने फारबिसगंज के निकट अपना कार्य भी प्रारंभ भी किया। लेकिन बात शुरूआती दौर में ही है।
अररिया व फारबिसगंज शहर में नाला निर्माण की योजनाओं का भी बुरा हाल है। अव्वल तो करोड़ों व्यय के बावजूद इनसे जल निकासी में कोई मदद नहीं मिल रही और दूसरा यह कि निर्माण कार्य घटिया होने की वजह से अधिकतर जगहों पर नाले टूटने लगे हैं।
शहरी क्षेत्र में कचरा प्रबंधन परियोजना अब भी सपना ही बनी हुई है। इस योजना के नाम पर अररिया में लाखों व्यय किए गये, पर काम नजर नहीं आता। इस योजना में जमीन खरीद के नाम पर साठ लाखों रुपयों की राशि व्यय की जा चुकी है।

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