Araria

Wednesday, February 8, 2012

कालाजार का खूनी पंजा बरकरार


पलासी (अररिया) : पलासी प्रखंड में कालाजार का खूनी पंजा अब भी असरकारी बना हुआ है। हालांकि पीएचसी में पर्याप्त संसाधन की कमी के बावजूद कालाजार के मरीजों की संख्या में कमी आ रही है, लेकिन कमजोर तबके के लोग अब भी कालाजार के आतंक तले जी रहे हैं। प्रखंड में कालाजार पर अंकुश लगाने हेतु अब भी बहुत कुछ किया जाना शेष है।
प्रखंड में कालाजार नियंत्रण को ले संसाधनों की स्थिति:
गौरतलब हो कि सरकार कालाजार जैसी घातक बीमारी पर अंकुश लगाने हेतु सभी पीएचसी में जांच, परामर्श व दवा, सूई उपलब्ध करा रही है। किंतु पलासी पीएचसी में इसके लिए मात्र एक कमरा व एक प्रयोगशाला उपलब्ध है। उसी कमरे में उसी कर्मी से अन्य कई बीमारियों की भी जांच करायी जाती है। जबकि वह कमरा भी पीएचसी का अपना नही है। रनिंग वाटर का भी अभाव है। रक्त जांच की सुविधा उपलब्ध है।
वर्ष 2008 में 79, वर्ष 2009 में 72, 2010 में 66, वर्ष 2011 में 41 तथा जनवरी 2012 में 03 कालाजार के मरीज चिन्हित किए गए है। जिसमें ज्यादातर मरीज अजा अजजा वर्ग में पाये गये हैं। प्रखंड में कालाजार रोगियों के आंकड़े बताते हैं कि इसमें कमी लाने के लिए जागरूकता जरूरी है। वैसे भी पलासी प्रखंड अत्यंत ही पिछड़ा क्षेत्र है। गरीबी के कारण लोगों को दो जून की रोटी ही मुश्किल से मिलती है। ऐसे में जागरूकता के अभाव में वे साफ-सफाई पर ध्यान न देते हुए जमीन पर ही सो जाते हैं।
क्या कहते हैं प्रभारी
चिकित्सा पदाधिकारी:
प्रखंड के चिकित्सा प्रभारी डा. जहांगीर आलम ने बताया कि कालाजार मुख्यत: बालू मक्खी के काटने से होता है। आसपास में गंदगी के कारण यह मक्खी पैदा होता है, गीली जमीन पर सोने से यह रोग होता है।
कालाजार के लक्षण दिखने पर तुरंत पीएचसी में रक्त जांच कराकर, चिकित्सक की सलाह पर दवा लेने से यह रोग ठीक हो जाता है।
प्रखंड में बीते चार वर्षो में कालाजार मरीजों के आंकड़े:
वर्ष जांच परिणाम
2008 119 19 पोजिटिव
2009 195 72 पोजिटिव
2010 168 66 पोजिटिव
2011 200 41 पोजिटिव
2012 (जनवरी) 10 03 पोजिटिव

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