Araria

Sunday, March 18, 2012

मतदाताओं की नब्ज टटोलने में लगे उम्मीदवार


फारबिसगंज (अररिया) : आगामी 16 मई को होने वाले फारबिसगंज नगर परिषद चुनाव की घड़ी ज्यों-ज्यों नजदीक आ रही है राजनीतिक सरगर्मी तेज होने लगी है। संभावित उम्मीदवार अभी से अपने-अपने वार्डो में मतदाताओं की नब्ज टटोलने में लग गए हैं। उल्लेखनीय है कि फारबिसगंज नगर परिषद क्षेत्र में कुल 25 वार्ड हैं जिसमें 12 सीट महिलाओं के लिए आरक्षित है। प्रशासन द्वारा मतदाता सूची का प्रारुप भी अंतिम दौर में है। 16 अप्रैल को चुनावी अधिसूचना के साथ ही नामांकन की प्रक्रिया आरंभ हो जायेगी। वहीं नगर परिषद कार्यालय में जहां कभी वार्ड पार्षदों का जमावड़ा लगा रहता था, इन दिनों सन्नाटा पसरा हुआ है।
नगर परिषद चुनाव को लेकर कतिपय राजनीतिक दिग्गज भी पर्दे के पीछे से राजनैतिक चौसर में अपनी गोटियां सजाने में जुट गए हैं। जिनमें एक विधायक गत चुनावों की भांति इस चुनाव में भी काफी रुचि ले रहे हैं। इन दिग्गजों की नजर मुख्य पार्षद और उ. मुख्य पार्षद की कुर्सी पर टिकी है। जहां वे अपने चहेते एवं खासमखास लोगों को बिठाने की मंशा रखते हैं। फिलवक्त मुख्य परिषद की कुर्सी पर वीणा देवी ने जहां सारे विरोधों के बावजूद अपना कार्यकाल पूरा किया। वहीं उप मुख्य पार्षद श्री अग्रवाल ने अविश्वास मतों के जरिए शाद अहमद को हटाकर इस पद पर कब्जा जमाया है।
उल्लेखनीय है कि नगर परिषद की राजनीति में लंबे समय तक हावी रहे स्व. अरविंद यादव के असामयिक निधन के पश्चात एक रिक्तता जरूर नजर आ रही है। उनकी अनुपस्थिति में वर्तमान नगर परिषद राजनीति के दिग्गज स्व. यादव की धर्म पत्‍‌नी सह मुख्य पार्षद वीणा देवी, उप मुख्य पार्षद राज कुमार अग्रवाल, पार्षद सुनिता जैन, अनिल कुमार सिन्हा, शाद अहमद खुद की जीत के साथ सभी वार्डो में अपनी गोटी सजाने में लग गए हैं, ताकि उनके समर्थक पार्षद अधिक संख्या में जीतकर आएं और कुर्सी की लड़ाई में उनकी जीत सुनिश्चित हो सके।
हालांकि जानकारों के अनुसार अधिकतम वार्ड पार्षदों को इसबार अपने वार्डो में काफी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। जो कि मुख्य रूप से वार्डो के विकास, साफ-सफाई और किरासन तेल के वितरण आदि समस्याओं से संबंधित है। इस तरह उनके जीत-हार में एंटी-इनकांबेंसी के साथ ये मुद्दे भी अहम भूमिका अदा करेंगे।
वहीं नगर परिषद के चुनाव में जातीय समीकरण भी हावी रहने की संभावना जताई जा रही है। कई नए प्रत्याशी तो जातीय समीकरण के बुते पर हो चुनाव मैदान में उतरने का आतुर हैं।
कुल मिलाकर मई में होने वाले नगर निकाय चुनावों को लेकर स्थिति काफी रोचक बनी हुई है।

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