Araria

Thursday, March 15, 2012

नेत्र अस्पताल को लेकर बुद्धिजीवियों में छिड़ी बहस


फारबिसगंज (अररिया) : पिछले करीब तीन दशक से गुमनामी के अंधेरे में पड़ा लायंस क्लब सेंट्रल का अर्धनिर्मित नेत्र अस्पताल अचानक चर्चा में आ गया है। दशकों से उपेक्षित इस खंडहरनुमा नेत्र अस्पताल भवन की असलियत दैनिक जागरण द्वारा सामने लाये जाने के बाद आम लोगों में इसके अस्तित्व को लेकर बहस छिड़ गई है। हालांकि आम लोगों ने दैनिक जागरण द्वारा इस मामले को लगातार उठाये जाने की भूरी-भूरी प्रशंसा की। वहीं लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि फारबिसगंज में इस नेत्र अस्पताल को स्थापित किया जाना चाहिये, चाहे वह किसी क्लब, ट्रस्ट, संस्था या सरकार के द्वारा बनायी जाय। उन्हें तो एक बेहतर नेत्र अस्पताल चाहिये ताकि मरीजों को आंख के इलाज के लिये बाहर नहीं जाना पड़े और सभी तरह की सुविधाएं यहीं पर उपलब्ध हो जाये।
फारबिसगंज पुस्तकालय रोड निवासी व्यवसायी जय प्रकाश चौरसिया ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि नेत्र अस्पताल के लिये उपयुक्त जमीन भी उपलब्ध है जिससे अस्पताल बनाने के दिशा में सकारात्मक बात है। श्री चौरसिया ने कहा कि समाजिक स्तर पर सभी को आर्थिक सहयोग करना चाहिए। वहीं व्यवसायी राजेश सिंह ने कहा कि इस मामले में स्थानीय सांसद विधायक ने भी इस अस्पताल के लिये न तो कोई प्रयास किया और न हीं नये सरकारी-गैर सरकारी नेत्र अस्पताल लगाने की पहल की। ऐसे में लायंस क्लब का प्रयास सराहनीय है। शिक्षक दिवाकर चौरसिया ने कहा कि लोगों को एक अत्याधुनिक नेत्र अस्पताल चाहिये। चाहे इसे कोई क्लब, संस्था या सरकार बनाये। उन्होंने कहा कि वर्षो पूर्व यदि यह नेत्र अस्पताल बन गया होता तो लाखों लोगों को इसका फायदा मिल रहा होता। वहीं शेयर ब्रोकर संतोष मिश्रा ने कहा पूरी तरह भुला दिये गये इस महत्वपूर्ण मामले को सामने लाकर दैनिक जागरण ने अच्छे पहल की है। साथ इस मुद्दे को लगातार जीवंत रखते हुए मंजिल तक पहुंचाने की भी अपील की। समाजसेवी मनोज सिंह ने कहा कि जमीन तथा भवन हस्तांतरण का मामला अधिक मायने नही रखता है यदि इसे पूरा करवाने वालों की मंसा सही हो और इच्छा शक्ति मजबूत हो। वहीं बैंक प्रबंधक दिवाकर साह ने कहा कि जनप्रतिनिधियों और सरकार को नेत्र अस्पताल पूरा करने के लिये पहल करनी चाहिये। बहरहाल लोगों ने नेत्र अस्पताल के पूरा होने की काफी उम्मीदें पाल रखी है। इसके बनने से कोसी-सीमांचल की बड़ी आबादी लाभान्वित होगी।

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