Araria

Wednesday, April 11, 2012

पिछड़ा है अररिया का व्यापारिक मुख्यालय


अररिया : जिले के व्यापारिक मुख्यालय की संज्ञा प्राप्त अररिया आरएस में जन समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। सफाई, जल निष्पादन व सड़क जैसी मौलिक सुविधाएं यहां अब भी विकसित नहीं हो पायी हैं। और तो और प्रशासन यहां के पुलिस आउटपोस्ट को अब तक जमीन व भवन भी मुहैया नहीं करवाया है।
अररिया आरएस का ऐतिहासिक महत्व भी रहा है। अठाहरवीं सदी में यहां के रहिकपुर में नील कोठी व कत्था निर्माण की फैक्ट्रियां थी। शायद इसी के मद्देनजर यहां से रेल लाइन गुजरी और इस स्थान का नाम अररिया आरएस (रेलवे स्टेशन) कर दिया गया। धीरे- धीरे इस स्थान का विकास इलाके की व्यापारिक राजधानी के रूप में होता गया। आरएस वासियों ने आजादी के संघर्ष में बेहद अहम योगदान दिया है। गांधी जी के नमक सत्याग्रह व दांडी यात्रा के सहयोगी पं. रामाधार दूबे तथा पेशावर की जेल में 11 साल तक रहने वाले तथा बादशाह खान के अनन्य सहयोगी कन्हैया लाल वर्मा आरएस के ही थे, लेकिन इतनी शानदार विरासत के बावजूद आरएस को विकास के नाम पर महज आश्वासनों का झुनझुना ही पकड़ाया गया है।
शहर में जन समस्याओं का अंबार है। आसन्न निकाय चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक बिरादरी इन्हें उठा भी रही है, लेकिन जाहिर है कि चुनाव बाद सब संचिकाओं में गुम हो जायेंगे।
स्थानीय लोगों के मुताबिक जिला मुख्यालय से जोड़ने वाली सड़क में गढ्डे हो जाने के कारण जल जमाव की समस्या फिर सामने आ गयी है। सड़क के बगल में नाले हैं, पर उनसे होकर पानी नहीं बहता। इस बाजार के अंदर नप के चार वार्ड हैं, पर उनकी स्थिति गांवों से भी बदतर है। वार्ड तीन में तो बिजली का पोल भी नहीं गड़ पाया है।
मुख्य बाजार में भी जल निकासी व सफाई जैसी सुविधाओं का टोंटा है। यहां की सब्जी मंडी में कीचड़ व गंदगी का साम्राज्य है। लोगों को पीने को शुद्ध पानी तक नसीब नहीं। बाजार वासियों ने बताया कि आरएस के किसान पूरे शहर को ताजी सब्जी खिलाते हैं, पर सब्जी मंडी के विकास के लिए प्रशासन या नप द्वारा कोई ठोस काम नहीं किया गया। सब्जी विक्रेता आज भी गंदगी व असुविधाओं के बीच दुकानें लगाते हैं।
प्रशासन भी इस मंडी के विकास के लिए सजग नहीं दिखता। पांच छह दशक पहले स्थापित यहां के पुलिस आउटपोस्ट को अब तक जमीन व भवन भी मुहैया नहीं करवाया जा सका है।

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