Araria

Sunday, May 6, 2012

आग की लपटों में राख हो गए महिलाओं के अरमां


कुर्साकांटा (अररिया) : सब कुछ जैर के खाक भय गैले आब कोना के जीबै हौ बाबू?
छाती पीट पीट कर यह करुण क्रंदन कर रही थी सोनामणि गोदाम की महिलाएं। जब शनिवार की सुबह 10 बजे इस गांव में लगी आग ने उनके आशियानों को पूरी तरह नष्ट कर डाला था। पूरी बस्ती में लगी भयानक आग आसमान को चूम रही थी। रोती कलपती घर से दूर खड़ी कौशल्या देवी, नीलम देवी, कमली, अनमिका व रधिया धू धू कर जल रहे अपने घर को देख रहे थे।
रोती हुई नीलम देवी ने बताया कि कई साल से पैसे बचा बचा कर किसी तरह वह अपने कान व नाक का जेवर बनाया था। वहीं, रधिया ने बताया कि उनके पति ने एक जोड़ा बैल बेच कर बक्सा में रुपया रखा था कि भैंस खरीदेंगे। वहीं, अनमिका ने अपने फूस के घर को एक महीने से मिट्टी से साट कर रंग रोगन किया था कि इस बार बिटिया की शादी कर ही लेंगे। लेकिन तीनों के सपने आग में जल कर राख हो गये। ऐसे एक नहीं कईयों के सपनों को आग ने निगल लिया।

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