Araria

Wednesday, May 23, 2012

वर्दी के दोस्ती भरे स्पर्श ने बदली हबुआ के जीवन की दिशा


अररिया/पलासी : जो दिखता है, हमेशा सच नहीं होता। क्योंकि यह अक्सर छुपा होता है। सच को देखना हो तो दोस्ती भरे हाथ बढ़ाईये, वक्त व हालात से बना पत्थर पिघल जायेगा और मौके पर एक सच्चा व संपूर्ण इंसान नजर आयेगा। सदियों पहले भगवान बुद्ध के दोस्ती भरे स्पर्श ने डाकू अंगुलीमाल के जीवन की दिशा ऐसे ही बदली होगी। कोई व्यक्ति पैदाइशी बदमाश नहीं होता। हालात व कुसंगति उसे बदमाश बना देते हैं। लेकिन जीवन के सफर में कोई हाथ ऐसा भी बढ़ता है जो निर्दय व बर्बर रत्‍‌नाकर को विज्ञान विशारद बाल्मिकी बना देता है। पलासी के कुख्यात हबुआ की कहानी भी इससे मिलती जुलती है।
अररिया जिले के पलासी प्रखंड अंतर्गत पलासी बस्ती का रहने वाला कुख्यात अपराधी हबीब उर्फ हबुआ पलासी थाना क्षेत्र ही नहीं अररिया के जोकीहाट, रानीगंज पूर्णिया, डगरूआ, आमौर, किशनगंज जिले के विभिन्न थाना क्षेत्र के डकैती, लूट, चोरी, बम विस्फोट आदि के तीन दर्जन संगीन कांडों का वांछित अपराधी था। उसे कुछ वक्त पहले पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। उसने अपनी गिरफ्तारी के समय ही अररिया के तेज तर्रार एसपी शिवदीप लांडे के समक्ष अपराध को छोड़कर समाज की मुख्य धारा से जुड़ने की इच्छा जतायी थी।
हबुआ पहले किसी पत्थर की माफिक कठोर था और पुलिस को देखकर भागा फिरता था। लेकिन आज वह उसी पलासी थाने के सामने शान से अपनी दुकान लगाता है, जहां उसने शायद कभी जाना नहीं चाहा होगा। यह कमाल खाकी वर्दी से निकले उस मुलायम स्पर्श का है, जिसकी समाज को आज बेहद जरूरत है।
इस संबंध में श्री लांडे ने बताया कि कोई भी व्यक्ति शौकिया बदमाश नहीं बनता। या तो परिस्थितियां उसे बदमाश बनाती हैं या फिर खराब संगत का असर उसे क्राइम की दुनियां में लेकर चला जाता है। उन्होंने बताया कि हबुआ एक ड्रेडेड क्रिमिनल था, लेकिन उसकी केस स्टडी से पता चला कि वह हालात का गुलाम बन कर ही अपराध की दुनियां में आया था। इसी कारण उन्होंने उस पर अपना ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने बताया कि उसे समाज की मुख्य धारा में बनाये रखने की जिम्मेदारी एसडीपीओ मो. कासिम तथा पलासी थाना पुलिस को सौंपी गयी। ज्यों ही हबुआ जेल से छुटकर घर आया उसने पलासी थानाध्यक्ष आरबी सिंह व पीएसआई मिथिलेश कुमार से संपर्क किया। दोनों ने उसे हर संभव सहायता दी व उसका मार्गदर्शन किया। उसे रोजमर्रा की उपयोग में आने वाली सब्जी, आलू, प्याज आदि की दुकान खोलने की सलाह दी गयी। हबुआ ने इस सलाह पर अमल करते सब्जी की दुकान खोल ली और आज शान से सिर उठा कर समाज से रूबरू है। एसपी श्री लांडे के समक्ष हबुआ ने बताया कि उसने फिलहाल करीब चार हजार रुपये की पूंजी से दुकान खोली है, जिससे उसकी रोजी रोटी की समस्या हल हो गयी है।
हालांकि हबुआ के लिए उत्प्रेरक बने खाकी वर्दी के दोस्ती भरे वे ही हाथ जिसने कभी दिघली गांव के आठ कुख्यात अपराधियों को समाज की मुख्य धारा में लाया था। कभी मिनी चंबल के नाम से जाना जानेवाला दिघली के आठ कुख्यात अपराधियों ने पलासी थानाध्यक्ष आरबी सिंह की पहल पर बीते दिसंबर में श्री लांडे के समक्ष आत्म समर्पण किया था। पुलिस उन्हें सरकार द्वारा उपलब्ध हर सरकारी लाभ दिलवाने को प्रयासरत रही। इधर, एसपी श्री लांडे ने हबुआ को भी हर संभव सरकारी लाभ दिलवाने का आश्वासन दिया है।

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