Araria

Sunday, June 24, 2012

फरियानी नदी के लगातार कटाव से संकट में किसान


रानीगंज (अररिया) : प्रखंड के दो महत्वपूर्ण पंचायत हसनपुर एवं बरबन्ना के बहुत बड़े उपजाऊ भूखंड का वजूद फरियानी नदी के लगातार कटाव क कारण खतरे में पड़ गया है। इन दोनों पंचायतों के अंतर्गत बालू धीमा, कारिया घाट, पासवान टोला, पन्नो घाट, बड़हारा, वैद्यनाथपुर, विस्टोरिया आदि क्षेत्र के सैकड़ों एकड़ उपजाऊ जमीन को प्रत्येक वर्ष बंजर बना देने एवं जलेबी के मोड़ जैसा रास्ता अख्तियार करने वाली कोसी की छारन यह नदी इस क्षेत्र को अपना चारागाह सैकड़ों वर्ष पूर्व से बना रखा है। अगर समय रहते इस पगली नदी की धारा को नहीं मोड़ा गया तो बरसात के दिनों तक आते-आते लपलपा रही नदी की मुख्य धारा जल्द ही घनी आबादी वाले इलाके को भी अपने आगोश में ले लेगी।
नदी की धारा को मोड़ने के नाम पर कई बार हुई खानापुरी के नाम पर अब तक लाखों रुपये की राशि का बंदरबांट बीते दिनों में हुयी है। गत दिनों कोसी में आयी प्रलयंकारी बाढ़ से उफनती इस परियानी नदी की धारा को रानीगंज बाजार में घुसने से बमुश्किल से रोका गया था। इस नदी का क्षेत्र के उपजाऊ जमीन से हमेशा से दुश्मनी रहा हो ऐसा नही है। कहते हैं जब इस क्षेत्र में सड़क मार्ग नही था तो यही नदी इस इलाके की समृद्धि का प्रतीक थी। विभिन्न प्रांतों में इस क्षेत्र का मशहूर घी, बांस, कंबल आदि सामानों का नानों पर लाद कर इसी फरियानी नदी के रास्ते कलकत्ता व ढ़ाका आदि शहरों तक पहुंचाए जाते थे और वहां से नमक, कपड़ा आदि आयात कर व्यापारी यहां बेचकर खुब मुनाफा कमाते थे। परंतु कालांतर में शोक बने इस कोसी की छारन फरियानी नदी जब रास्ता बदलती है तो इसके प्रभाव में आने वाले खेतों के किसानों में दहशत फैल जाती है। एक तरफ खेतों में बालू भरकर दियारा में तब्दील कर देने में इस नदी को महारथ हासिल है तो दूसरी ओर हजारों एकड़ उपजाऊ जमीन को निगलने के लिए इसका जी लपलपा रहा है। कहते हैं तीन दशक पूर्व इस नदी का बहाव रानीगंज बाजार से दो किलोमीटर पश्चिम था परंतु नदी प्रतिवर्ष पूरब की ओर उपजाऊ जमीन का कटाव करते-करते बाजार से महज कुछ सौ मीटर की दूरी पर पहुंच गया है। जामुन घाट के संतोष कुमार सिंह उर्फ चुन्नू सिंह, दिवान टोला वासी टुनटुन मास्टर, सूटर यादव, चंदन सिंह आदि दर्जनों किसान बताते हैं कि प्रत्येक वर्ष बरसात के पूर्व पदाधिकारी आते हैं तथा इस पगली नदी को बांध नदी की धारा मोड़ने की योजना बनाते हैं परंतु बरसात के बाद ये योजनाएं फाइलों में गुम हो जाती है। इस नदी के कटाव से सबसे ज्यादा प्रभावित कोरिया घाट एवं पासवान टोला के लोग बताते हैं कि प्रशासन इमानदारी से थोड़ा मेहनत करे तो नदी को पुराने धारा पर लाया जा सकता है। इससे न सिर्फ सैकड़ों एकड़ उपजाऊ जमीन बंजर होने से बचेगा अपितु क्षेत्र में नदी से आने वाले बाढ़ का खतरा भी कम हो जायेगा। क्षेत्र के जिला पार्षद प्रिंस विक्टर कहते हैं कि मनरेगा जैसी योजनाओं पर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाये जा रहे हैं अगर उसी पैसे के कुछ अंश को पानी की धारा मोड़ने में खर्च किया जाय तो क्षेत्र के कई समस्याओं का निदान हो जायेगा।

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