Araria

Monday, June 4, 2012

अंधे नालों में उलझ गई अररिया की सीवर लाइन


अररिया : अररिया की भूगर्भीय संरचना ही ऐसी है कि यहां की बलुआही मिट्टी ऊपर से गिरने वाले जल को सोख लेती है। शायद इसीलिए जल निकासी के नाम पर करोड़ों का अपव्यय फिलहाल आक्रोश की लहरें पैदा नहीं कर रहा। लेकिन भ्रष्टाचार के पाप का बोझ ढोते-ढोते यहां की ब्लाटिंग जैसी धरती भी अब बोझिल होने लगी है।
बारिश की पहली बौछार में ही जिले के तीनों शहरों अररिया, फारबिसगंज व जोगबनी के कई मुहल्ले नरक में तब्दील हो जाते हैं। अकेले अररिया शहर में एक दर्जन से अधिक स्थान ऐसे हैं जहां लगातार गंदे पानी का जमाव बना रहता है। विगत एक दशक में जल निकासी नाला निर्माण के नाम पर करोड़ों की राशि खर्च की गयी, पर सारे नाले अंधे बन गये हैं। आप स्वयं जाकर देख लीजिए कि इनसे पानी नहीं निकलता, बल्कि ये मच्छर प्रजनन केंद्र बनकर रह गये हैं।
किसी भी शहर में अब तक सीवर लाइन का निर्माण नहीं हुआ है, न ही निकट भविष्य में होने की संभावना नजर आती है। तीनों ही शहरों में तकरीबन पांच दर्जन जगहों पर खुले नालों का निर्माण जरूर हुआ है पर तकनीकी गड़बड़ी और कमीशनखोरी की वजह से वे बेकार साबित हुए हैं।
शहरवासी एक सवाल का जवाब चाहते हैं कि जब नालों से जल निकासी नहीं होती तो उन्हें बनाया ही क्यों गया था? किस अधिकारी ने इसकी स्वीकृति दी?
अररिया में काली मंदिर चौराहे से पश्चिम की ओर लाखों की लागत से सड़क के दोनों तरफ दो अलग-अलग नाले बनाये गये। लेकिन इन्हें महिला कालेज से पहले ही जाकर रोक दिया गया। क्या अधिकारियों को यह नहीं दिखा कि वहां गंदे जल का निस्तारण किस तरह होगा। आज ये दोनों नाले अस्तित्वहीन बन गये हैं। इसी तरह स्टेट बैंक रोड से आश्रम रोड के किनारे कवर्ड नालों का निर्माण किया गया। निर्माण में कमीशनखोरी व घटिया सामग्री लगने से नालों के ढक्कन टूट कर जानलेवा साबित हो रहे हैं। आजादनगर मुहल्ले में बने नालों का भी यही हाल है। हटिया रोड में तीन बार नाले बने, लेकिन तीनों बार उन्हें भथ दिया गया। आखिर नप के कारिंदे क्या करते हैं?
सबसे बड़ी बात नाला निर्माण की प्रक्रिया को लेकर है। जब भी नगर निकाय में कोई पैसा आता है तो उसे वार्डो के बीच हिस्सा बराबर करके बांट दिया जाता है। अरे, भईया, राजनीति की तलवार ने भले ही वार्डो की विभाजन रेखाएं खींच दी हैं, नाला, बिजली लाईन, कचरों का निस्तारण, मार्केट जैसी कई चीजें तो कामन हैं। इनके विकास के बारे में मिलकर कोई योजना क्यों नहीं बनाते?
इधर, शहर में सीवर लाइन अभी भी दूर की कौड़ी ही नजर आती है। यहां तक कि नाला निर्माण को लेकर भी कोई समेकित योजना नहीं बनायी गयी है। आखिर गंदे जल का निस्तारण आप किस तरह करना चाहते हैं? कहां जायेगा शहर का गंदा पानी? शहर के सैप्टिक टैंकों के मैला निस्तारण की क्या योजना बनायी गयी है? सब सवालों का नगर परिषद की ओर से एक ही जवाब: इस दिशा में जल्द ही ठोस पहल की जायेगी।

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