Araria

Sunday, June 24, 2012

भरती रही अधिकारियों की जेब, प्यासे रह गए बच्चें


अररिया : सूखते रहे बच्चों कंठ और भरती रही बिचौलियों व अधिकारियों की जेब। जिले में 1.22 करोड़ रुपये की लागत से लगे टेरा फिल्टर से बच्चों की प्यास की जगह घपलेबाजों के पैसों की भूख मिटी। पूरे मामले के उजागर होने के बाद इसको लेकर जांच शुरू है परंतु जांच के पहले चरण में इस पर सवाल भी उठने लगे हैं।
वित्तीय वर्ष 2010-11 में विद्यालयों में शुद्ध पेयजल के लिए 372 विद्यालयों में टेरा फिल्टर लगाने की योजना एमएसडीपी के तहत बनी। सर्व शिक्षा परियोजना द्वारा इस योजना के तहत प्रति विद्यालय 33 हजार रुपये विद्यालय शिक्षा समिति को दिए गये। बताया जाता है कि इसे विद्यालय शिक्षा समिति के बजाय शिक्षा विभाग के तत्कालीन अधिकारी द्वारा चयनित एक एजेंसी से लगवाया गया। एजेंसी ने घटिया सामग्री का उपयोग कर टेरा फिल्टर, वाटर टैंक लगाए और सारे पैसे का उठाव कर लिया। कुछेक विद्यालयों को छोड़कर यह फिल्टर अपनी उपयोगिता साबित करने में अक्षम रहा। जबकि कई ऐसे विद्यालय भी हैं जहां आज तक बच्चों को आज तक इसके दर्शन ही नहीं हुए। अररिया नप अंतर्गत उमवि रहिका टोला में टेरा फिल्टर गायब है। बताया जाता है कि चोरी होने के बाद अज्ञात पर प्राथमिकी दर्ज करायी गई। प्रावि जमुआ में टेरा फिल्टर लगा या नहीं इसकी सूचना कहीं नहीं है। नरपतगंज के मवि फतेहपुर, मवि फतेहपुर पिठौरा में टेरा फिल्टर बंद है। उमवि बेला में भी यही स्थिति है। वहीं उमवि नाथपुर कुरमी टोला में टेरा फिल्टर की राशि आज तक स्कूल को नहीं मिली है। मामले की जांच के पहले चरण से ही इसके लिपापोती की तैयारी हो रही है। जांच अधिकारियों की रिपोर्ट पर जनप्रतिनिधि व विभिन्न दलों के कार्यकत्र्ता सवाल उठा रहे हैं।

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