Monday, July 2, 2012

एनएच फोरलेन बना मक्का हाइवे


रेणुग्राम(अररिया) : सीमांचल का एनएच 57 इन दिनों एनएच (मक्का हाइवे)में तब्दील हो गया है। किसानों के द्वारा अतिक्रमित कर मक्का फसल तैयार करने से लेकर सुखाने तक का कार्य सड़कों पर ही निष्पादित किया जा रहा है जिससे आवागमन व्यवस्था पर तो प्रतिकूल प्रभाव पड़ ही रहा है आए दिन दुर्घटनाएं घटित हो रही है। वहीं प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। जबकि इन सड़कों से होकर जिले के आलाधिकारी से लेकर ब्लाक स्तर तक के अधिकारियों का गुजरना लगातार होता है।
गुजरात के पोरबंदर से लेकर असम के सिलचर तक ईस्ट वेस्ट कारीडोर के तहत बनी फोरलेन सड़क पर किसानों ने फसल सुखाने के लिए सड़क पर इस तरह कब्जा कर रखा है कि जिले में एनएच 57 को एमएच अर्थात मक्का हाइवे के रूप में जाना जाने लगा है। फोरलेन सड़क पर लेन सड़क की कौन कहे नो पार्किंग वाले जोन में भी किसान धड़ल्ले से फसल तैयार करने से लेकर फसल सुखाने का काम करते हैं। दर्जनों गांवों में मकई की खरीद बिक्री भी सड़क पर ही होती है।
इससे भी खराब स्थिति ग्रामीण पक्की सड़कों की है जहां ग्रामीण मवेशी से लेकर घर के जलावन और फसल पौधों से सड़क को पाटे रखते हैं। चाहें वह मानिकपुर हलहलिया सड़क हो चाहे अररिया बांसबाड़ी भाया खवासपुर पथ हो या फिर कोई अन्य पथ, सब पर मूंगफली बिछा मिलेगा।
सड़क पर किसानों के इस अवैध कब्जे के कारण आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती है। रात के समय सड़क पर ही फसल का ढेर खड़ा कर देने के कारण वाहन चालकों को वाहन चलाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं सड़क पर पत्थर रख देने के कारण गाड़ियों का कई बार संतुलन बिगड़ जाता है जिससे दुर्घटनाएं होती रहती है। सड़कों पर फसल तैयार किए जाने के कारण उड़ते धूल कण और भूसे से वाहन चालकों और राहगीरों को काफी मुश्किलों से रूबरू होना पड़ता है।
सड़कों पर फसल सुखाने और तैयार करने के बाबत किसानों को अपनी परेशानी है। बढ़ती आबादी के कारण गांवों में फसल तैयार करने की जगह कम पड़ रही है। सड़क का उपयोग करना वे अपनी मजबूरी मानते हैं। दूसरी ओर वाहन चालक टाल टैक्स एवं अन्य कर अदायगी के बावजूद इस दिशा में विभागीय उदासीनता से आहत हैं। गौरतलब हो कि तीन वर्ष पूर्व पुलिस द्वारा ऐसे किसानों पर कार्रवाई के बाद सड़क अतिक्रमण और फसल सुखाने के कार्यो पर विराम लग गया था।

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