Araria

Tuesday, July 3, 2012

बाढ़ और कटान की आशंका से सिहर उठे ग्रामीण


अररिया : वर्ष के दो माह सावन और भादो अररिया प्रखंड के कोशकीपुर एवं बसंतपुर के लिए प्रलय साबित होता है। परमान की उफनती धारा कब और कितनों को विस्थापित होने के लिए मजबूर कर दे ये कहना मुश्किल है। बाढ़ आती है और चली भी जाती है, लेकिन रह जाती है तबाही। कुछ दिनों में ही इस गांव और यहां के वाशिंदों का भूगोल भी बदल जाता है। कभी सुख शांति एवं समृद्धि से भरपूर रहे यहां के किसानों की स्थिति बदहाल है। मजदूरी करना अब इन किसानों की मजबूरी है।
दो दशक पूर्व त्रिसूलिया घाट टोला परमान नदी किनारे बाबाजी कुटिया से महज कुछ सौ मीटर दूर था। लेकिन आज परमान की धारा ने उसे डेढ़ किलोमीटर दूर कर दिया है। दर्जनों लोगों की सैकड़ों एकड़ जमीन तेज धार में कटकर नदी में समा गयी या फिर बालू के ढेर में परिवर्तित हो गयी है। घाट टोला के नूर हसन, कोशकीपुर के मो. रउफ ने बताया कि प्रति वर्ष बाढ़ उनलोगों के लिए तबाही लाता है। खेती हर जमीन नदी में कट जाने से वे लोग आज सड़क पर आ गये हैं। जब परमान नदी उफनती है तो इस गांव के सैकड़ों लोगों को विस्थापन का भी दंश झेलना पड़ता है। खासकर मवेशी पालन उनलोगों के लिये बड़ी समस्या हो जाती है। समस्या से तंग आकर वे लोग अपने-अपने मवेशी को बैरगाछी या नगर परिषद के किसी उंचे क्षेत्र में लेकर चले जाते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि जिला मुख्यालय से सटे रहने के कारण उनलोगों की तबाही जिला प्रशासन भी अपनी आंखों से देखती है। लेकिन बाढ़ का पानी साथ-साथ प्रशासन एवं प्रतिनिधियों द्वारा दिए जाने वाले आश्वासनों का पुलिंदा बन जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि कई टोले बाढ़ के प्रकोप से उजड़ गये, लेकिन उनलोगों को आज तक कोई सरकारी सहायता नहीं मिल पायी है। ग्रामीणों ने बताया कि त्रिसुलिया घाट टोला कभी बहुत बड़ी बस्ती हुआ करता था। नदी किनारे एक विशाल बरगद का पेड़ था। पेड़ के नीचे बस्ती के लोग एकजुट होकर गांव की समस्या पर बात करते थे। लेकिन बाढ़ ने सबकुछ छीन लिया।
पांच वर्ष के दौरान कटान से पीड़ित हुए लोग
1. मो. नुरहसन एवं अन्य - 84 बीघा
2. मो. शमशाद- 16 बीघा
3. मो. आरिफ- 25 बीघा
4. मो. बलाल- 14 बीघा
5. मो. फारूख- 10 बीघा
6. अलाउद्दीन एवं रब्बे आलम- 10 बीघा
7. मो. रउफ- 10 बीघा
8. मो. सबूल
9. मो. जब्बार
10. माजुद्दीन
11. आशिक मुंशी
12 जुबैर- पांच भाई
13. मो. जब्बार
14. मो. इब्राहिम
इन लोगों का घर भी परमान नदी में समा गया।

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