Araria

Sunday, August 14, 2011

तत्कालीन डीएसई अहसन के डेहटी पैक्स घोटाले में फंसने से माफियों के


अररिया : डेहटी पैक्स घोटाले में एक के बाद एक अधिकारियों की संलिप्तता लगातार उजागर हो रही है। घोटाले में एक और तत्कालीन डीएसई की संलिप्तता सामने आने से जिले में माफियों के कान खड़े हो गये हैं। तत्कालीन डीएसई अहसन को भी मानव संसाधन विभाग ने मुख्यालय में उपस्थित होकर गबन मामले पर स्पष्टीकरण के लिए बुलाया है। इससे पूर्व एक और तत्कालीन डीएसई दिनेश चौधरी पर भी डेहटी पैक्स गबन मामले में कार्रवाई हो चुकी है। श्री चौधरी को पुलिस ने जहानाबाद से गिरफ्तार किया था। अभी वे जमानत पर हैं। इधर,
तत्कालीन डीएसई व वर्तमान में बांका के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी अहसन पर विभाग ने 80.39 लाख रुपये गबन करने, कर्तव्य में लापरवाही बरतने आदि का आरोप लगाया है। दैनिक जागरण को मिली जानकारी के अनुसार यह गबन की राशि सिर्फ 80.39 लाख ही नहीं है, बल्कि यह एक करोड़ 40 लाख तक पहुंच सकती है। जानकारी के अनुसार पलासी प्रखंड के 18 एवं सिकटी के 8 विद्यालयों में भवन निर्माण के लिए सर्वशिक्षा अभियान से 68 लाख 50 हजार 600 रुपया संबंधित हेडमास्टरों के नाम चेक के माध्यम से निर्गत किये गये। लेकिन यह चेक डेहटी पैक्स में जमा करा दिया गया। सूत्रों की मानें तो चेक जमा कराने में शिक्षक संघ के पदाधिकारी शिक्षकों के अतिरिक्त अन्य कई माफिया शामिल थे। कुछ ऐसा ही वाकया 14 नवसृजित विद्यालय भवन निर्माण में भी हुआ। पलासी के 4, सिकटी प्रखंड के 9 तथा जोकीहाट प्रखंड के 01 नवसृजित प्राथमिक विद्यालय में भवन निर्माण कार्य के लिए एसएसए ने 70 लाख 59 हजार का चेक प्रदान तो किया लेकिन आज तक वो भवन नहीं बना क्योंकि डेहटी पैक्स का कारोबार अक्टूबर-नवंबर 2008 में ही बंद कर दिया गया था। इसी पर पूर्व डीएसई अहसन ने पैक्स प्रबंधक समेत कई के खिलाफ केस दर्ज करवाया था। अहसन पर लगे गबन के आरोप में बताया जाता है कि 80.39 लाख की राशि मध्याह्न भोजन, स्कूल विकास मद, टीएलएम विद्यालय भवन निर्माण योजना की है। एसएसए से मिली जानकारी के अनुसार अहसन ने एफआईआर दर्ज कर अगली कार्रवाई नहीं की। जिस कारण विभाग ने उनपर विभागीय कार्रवाई शुरू करते हुए तलब किया है। हलांकि बांका के डीपीओ व अररिया के पूर्व डीएसई अहसन ने शुक्रवार को दूरभाष पर बताया कि 80.39 लाख की राशि उनके योगदान से चार माह पूर्व ही पैक्स में जमा करायी जा चुकी थी।
इधर शिक्षा विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार निगरानी विभाग के स्तर से भी पूरे मामले की जांच की जा रही है। बताया जाता है कि पैक्स तक चेक पहुंचाने व कमीशन वसूल करने वाले शिक्षकों की लंबी सूची निगरानी व मानव संसाधन विकास विभाग को सौंपी जा रही है।

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