Araria

Tuesday, December 21, 2010

एसएसबी व ग्रामीणों के बीच विवाद में हुई फायरिंग

अररिया/कुर्साकांटा (Kursakanta Araria) : भारत नेपाल सीमा पर स्थित सोनामनी गोदाम थाना क्षेत्र के बटराहा में महिला के साथ कथित छेड़खानी से उपजे विवाद के बाद एसएसबी जवानों द्वारा की गयी गोलीबारी में सोमवार की सुबह चार ग्रामीणों की मौत हो गयी तथा पांच ग्रामीण गंभीर रूप से जख्मी हो गये। पांचों जख्मियों को इलाज के लिये स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां चिकित्सकों ने दो लोगों की गंभीर स्थिति को देखते हुये पूर्णिया रेफर कर दिया। घायलों में दो की स्थिति चिंताजनक बतायी जा रही है। मृतकों में फरहत जहां, जब्बीर अंसारी, कुर्बान अंसारी व शाहनवाज अंसारी शामिल है। जबकि घायलों में सगीर, मुमताज, कैयुम एवं रहमान अंसारी शामिल है। इस घटना में एसएसबी के भी दो जवान राहुल पांडेय एवं पंकज पांडेय के घायल होने की सूचना है। घटना की सूचना मिलते ही सर्व प्रथम अररिया के डीएसपी मो. कासिम अपने दल-बल के साथ बटराहा पहुंचे। इसके बाद पूर्णिया प्रक्षेत्र के डीआईजी अमित कुमार, आरक्षी अधीक्षक विनोद कुमार, प्रभारी जिला पदाधिकारी युके सिंह, एसडीओ डा. विनोद कुमार, फारबिसगंज के डीएसपी एस के झा समेत कई अन्य अधिकारी व थानाध्यक्षों ने घटना स्थल पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया। इसके बाद उक्त अधिकारियों ने कैंप पहुंचकर एसएसबी अधिकारियों से डेढ़ घंटे तक मंत्रणा की। इस दौरान मृतकों के परिजन व आसपास के ग्रामीण उत्तेजित हो उठे और मरने-मारने पर उतारू हो गये। बाद में एसएसबी अधिकारियों से हुई वार्ता के बाद लौटे डीआईजी श्री कुमार द्वारा काफी समझाने-बुझाने एवं मुआवजा देने एवं दोषी जवानों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई के आश्वासन के बाद ग्रामीण शांत हुये। प्राप्त जानकारी के अनुसार शनिवार की रात कैंप से एक सौ मीटर दूर स्थित मो. अकबर के घर में घुसकर किसी जवान ने उनकी पत्‍‌नी अफरोजा के साथ दुष्कर्म का प्रयास किया। जिस पर हो हल्ला होते ही जवान भाग खड़े हुये। इसकी सूचना पीड़ित पति ने आस-पास के लोगों को दी। रात ही में एक दर्जन ग्रामीण इकट्ठा हो गये तथा सोमवार की सुबह एक दर्जन से अधिक ग्रामीण कैंप पहुंचकर एसएसबी के हेड कांस्टेबल के पास पहुंचकर अपनी बातें रखी। ग्रामीणों की बात सुनकर हेड कांस्टेबल ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि आगामी मंगलवार को उनके अधिकारी कैंप पहुंचकर इस मामले पर उचित निर्णय लेंगे। इसी बात पर ग्रामीण भड़क उठे और हंगामा पर उतर आये। हंगामा पर उतरे ग्रामीणों को जवानों ने कैंप से भगा दिया। इस दौरान किसी ने कैंप में आग लगा दी, जिससे कई जवानों के तंबू जलकर नष्ट हो गये। अचानक हुई इस घटना से जवान भड़क उठे और बगल के एक कैंप से दो दर्जन से अधिक अन्य जवानों को मंगा लिया। इसी बीच सिकटिया कैंप से आ रहे दो जवान नालेज कुमार व सत्येंद्र चौधरी को ग्रामीणों ने बंधक बना लिया। बंधक बनाये जाने की सूचना मिलते ही जवान और भड़क गये और ग्रामीणों पर हमला बोल दिया।
उत्तेजित जवानों ने सबसे पहले मो. हुसैन के घर पर हमला किया। जवानों ने घर घुसकर उनकी बहु फरहत जहां को गोली मार दी। बचाने को दौड़े श्री हुसैन के पुत्र मो. शगीर, मो. जब्वीर एवं शहनवाज को भी जवानों ने गोली मार दी। इसी बीच सड़क पर गुजर रहे 65 वर्षीय मो. कुर्बान को भी सर में गोली लगी। गोली लगते ही वृद्ध कुर्बान ने घटना स्थल पर ही दम तोड़ दिया। इस घटना के बाद अपनी ओर ग्रामीणों को बढ़ते देख उनपर अंधाधुंध गोलियां चलाना शुरू कर दी। जिनमें पांच लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गये। बताया जाता है कि जवानों द्वारा सैकड़ों गोलियां ग्रामीणों पर चलायी गयी। जबकि डीआईजी अमित कुमार के समक्ष एसएसबी के जवानों ने 49 राउन्ड गोलियां चलाने की बात स्वीकार की है।
घटना की सूचना मिलते हीं अररिया के विधायक जाकिर हुसैन खां, जोकीहाट के विधायक सरफराज, पूर्व केन्द्रीय मंत्री मो. तसलीमुद्दीन, जिप अध्यक्ष शगुफ्ता अजीम, पूर्व जिप अध्यक्ष अफताब अजीम, कुर्साकांटा प्रमुख सुशील सिंह, पूर्व विधायक विजय कुमार मंडल समेत कई अन्य जनप्रतिनिधियों ने गांव पहुंचकर घटना की जानकारी ली और एक स्वर से इसकी निन्दा की।
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देर शाम तक नहीं उठा शव
कुर्साकांटा, निसं.: बटराहा में एसएसबी जवानों की गोली के शिकार हुए चार लोगों का शव देर संध्या तक सड़क पर यूं ही पड़े थे। डीआईजी, डीएम, एसपी एवं कई अन्य बुद्घिजीवियों के पहल पर मरने-मारने पर उतारू ग्रामीणों को समझाबुझाकर शांत तो कर दिया लेकिन अन्त्यपरीक्षण के सवाल पर ग्रामीण अड़ गए। इसी मामले को सुलझाने में देर संध्या तक सभी अधिकारियों को घटना स्थल पर तैनात रहना पड़ा। समाचार प्रेषण तक ग्रामीणों को समझाने का सिलसिला जारी था। ग्रामीणों का कहना था कि वे परिजनों के शव को अन्त्यपरीक्षण के लिए नहीं ले जाने देंगे। जबकि पुलिस अधिकारियों का कहना था कि प्राथमिकी दर्ज होगी तो अन्त्यपरीक्षण कराना भी आवश्यक है। क्योंकि अन्त्यपरीक्षण का रिपोर्ट से ही मुकदमा की पुष्टि होगी और मुआवजा दिलाने में समुचित लाभ मिलेगा।

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