Sunday, May 20, 2012

महंगाई से परेशान लोग, देखने वाला कोई नहीं


अररिया, : केंद्र की संप्रग सरकार के विगत तीन साल महंगाई को परवान चढ़ाने वाले रहे हैं। उपभोक्ता वस्तुओं के दाम आसमान पर हैं। आम आदमी की जेब में खरीदने की ताकत नहीं बची है। इधर, महंगाई है कि सुरसा की तरह बढ़ती ही जा रही है।
गर्मी के इस दौर में बढ़ती कीमतों की दास्तान कोल्ड ड्रिंक्स से ही शुरू करते हैं। यह फैक्ट्री में बनता है और बनाने वाले इसकी लागत पर टैक्स जोड़ कर उपभोक्ताओं से दाम वसूलते हैं। लेकिन खुदरा विक्रेता इन चीजों की मनमानी कीमतें वसूलते हैं। नियंत्रण करने वाला कोई नहीं।
इसी तरह हरी सब्जी, मछली मांस जैसी चीजों के दाम पर कोई अंकुश ही नहीं। आलू चौदह रुपये प्रति किलो की दर से मिल रहा है। कोई भी सब्जी पचीस रुपये प्रति किलो से कम नहीं बिक रही।
विगत तीन साल में जिस मूल्य वृद्धि ने लोगों की जेब पर सर्वाधिक डाका डाला है, वह है गृह निर्माण वस्तुओं की कीमत में बेतहाशा बढ़ोतरी। सीमेंट के दाम तीन साल में तीन गुना बढ़े हैं। ईट, बालू, बांस, लकड़ी, राज मिस्त्री की मजदूरी, लेबर चार्ज आदि में इतनी बढ़ोतरी हुई है कि मकान बनाना अब साधारण कार्य नहीं रहा।
डीजल, पेट्रोल, किरासन, कूकिंग गैस यहां तक कि जलावन के दाम भी बेहद बढ़े हैं।
वहीं, महंगाई की मार से यात्रा भी महंगी हो गयी है। बस भाड़ा, रिक्शा, टमटम, आटो आदि के किराये अब आम आदमी की जेब की भरपूर सफाई कर रहे हैं।

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