Tuesday, January 3, 2012

मेला संस्कृति से मॉल कल्चर की ओर ..


अररिया : इक्कीसवीं सदी की दहलीज पर युवाओं में सोच का बदलाव साफ नजर आता है। कुछ 'बड़ा' करने की ललक आम है। अररिया के युवा जहां पढ़ाई के क्षेत्र में अच्छा कर रहे हैं। वहीं, बिजनेस सेक्टर में भी नए मुकाम हासिल किए जा रहे हैं। सोच के इस बदलाव का असर संस्कृति पर भी पड़ा है। पुरानी मेला संस्कृति विलुप्त हो रही है, मॉल कल्चर भारी पड़ रहा है।
ग्रामीण परिवेश वाले अररिया जिले में नई पीढ़ी पहले की तुलना में दो कदम आगे नजर आती है। युवाओं में सोच का परिवर्तन स्पष्ट है। वे कैरियरिस्ट बन गये हैं। अपने भविष्य के बारे में पहले से प्लानिंग करते हैं और फिर उस प्लानिंग पर अमल भी होता है।
शहर व गांव बाजारों में इंटरनेट सुविधा उपलब्ध हो गयी तथा साइबर कैफै में युवाओं की भीड़ लगी रहती है। इनमें से अधिकतर युवा अपने कैरियर के संबंध में आप्शन की तलाश में लगे रहते हैं। युवाओं में आधुनिक तकनीक अपनाने के प्रति भी भारी ललक है। मोबाइल व इंटरनेट इन दिनों उनके कैरियर का सशक्त अस्त्र बना है।
जिले के युवाओं की बड़ी संख्या इंजीनियरिंग, मेडिकल, सिविल सर्विस ज्वाइन कर अपना कैरियर संवार रही है। एक अनुमान के अनुसार विगत दो दशक में जिले के तकरीबन दस हजार युवक सरकारी व निजी कंपनियों में कार्यरत हुए हैं। वहीं, बिजनेस सेक्टर में भी युवाओं की भागीदारी हर रोज बढ़ रही है। छोटे बाजारों में भी दुपहिया, चौपहिया व टै्रक्टरों के शोरुम खुल गये हैं। एनएच 57 पर हीरो होंडा शोरूम चलाने वाले सुमन कुमार सिंह का कहना है कि अपने कैरियर को संवारने का हक सबको है। बदलती दुनिया में आप्शन की कोई कमी नहीं है। जरा सा ध्यान देने पर कई विकल्प मिल जाते हैं। उन्होंने बताया कि सरकार के बदलाव के बाद ला एंड आर्डर की स्थिति में बेहद सुधार आया है और व्यापार ठीक-ठाक चल रहा है। वहीं बजाज शोरूम चलाने वाले रवि की मानें तो लोगों के जीवन स्तर में इजाफा हो रहा है। पहले लोग पैदल चलते थे। फिर साइकिल आयी और अब मोटर साइकिल का चलन हो गया है। उन्होंने बताया कि जिंदगी बेहद तेज रफ्तार हो गयी है। इस रफ्तार के साथ चलने के लिए मोटर साइकिल तो चाहिए ही।
बदलाव कई अन्य रूपों में भी सामने आया है। जिले के कोने-कोने में पेट्रोल पंप खुल रहे हैं और जिले के ही लोग उसकी एजेंसी ले रहे हैं। एक पेट्रोल पंप आनर ने बताया कि खेती के यांत्रीकरण के कारण पेट्रोलियम पदार्थो की मांग बेहद बढ़ी है। लिहाजा पेट्रोल पंप खोलना फायदे का धंधा है।
व्यवसाय में हानि लाभ का आकलन युवा तबके के लिए निर्धारक फैक्टर बन चुका है। वे हर वस्तु को बाजार के नजरिये से परखते हैं। शायद यही कारण है कि अररिया इन दिनों भारत के सबसे बड़े प्लाई निर्माता क्षेत्र के रूप में उभर कर सामने आया है। प्लाई व हाट प्रेस के धंधे में विशेषज्ञता प्राप्त कर अररिया के कई युवक दिल्ली, गाजियाबाद, जयपुर, चंडीगढ़ आदि स्थानों में भी प्लाईवुड युनिट लगा चुके हैं।
प्लाई बिजनेस में लगे उद्यमी किशुन भगत मानते हैं कि यहां के लोगों में जबर्दस्त उद्यमिता है। वे हानि लाभ देख कर अपने बिजनेस का चुनाव करते हैं।
वहीं, श्री भगत ने यह भी बताया कि पहले की तुलना में हालात अब बेहतर हैं। अपराध घटा है, लेकिन बैंकों की मदद कम मिल रही है। बैंकों में लालफीताशाही बरकरार है।
सोच के बदलाव का असर संस्कृति पर भी पड़ा है। लोगों के कस्टम व कास्ट्यूम दोनों बदल गये हैं। रहन सहन का तरीका बदल रहा है तथा जीवन स्तर में व्यापक बदलाव आया है। इस बदलाव को मेनटेन करने के लिए पैसा चाहिये और लोग पैसा कमा रहे हैं।

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