Friday, July 6, 2012

उपहारों का टोटा, मोबाइल उपभोक्ता खाया धोखा

अररिया : शंकरपुर गांव के दिनेश यादव के सपनों को थोड़ी देर के लिए पंख लग गए। 25 लाख इनाम की खबर सुनते ही उसने सपने बुनने शुरू कर दिए। आनन-फानन में बिना किसी से सलाह मशविरा किए उसने बैंक में 15 हजार रुपये जमा भी करवा दिए। लेकिन कुछ देर बाद ही उसे निराशा हाथ लगी। नतीजा यह हुआ कि उपहार पाने के लोभ में उसने अपनी जमा पूंजी भी गंवा डाली। एक वर्ष के पूर्व फारबिसगंज प्रखंड के समौल पंचायत के एक पंचायत समिति महेश कुमार पांडेय भी कुछ इसी तरह अपने 25 हजार रुपये गंवा डाले। पंसस को एक मोबाइल कंपनी से फोन आया कि आपके नाम पर 5 लाख का इनाम ड्रा हुआ। चेक पाने से पहले बतौर टैक्स के रूप में उन्हें 25 हजार रुपये अग्रिम जमा करना होगा। फिर क्या था अपने परिवार वालों को बिना बताए बैंक में राशि जमा करा दी। लेकिन कुछ देर बाद ही उन्हें निराशा हाथ लगी। आखिरकार मन मारकर उसने पुलिस के पास शिकायत दर्ज करा दी। दो दिन पूर्व ही अररिया कोर्ट रेलवे स्टेशन के दीपेश कुमार को 25 हजार रुपये का इनाम फंसने की जानकारी किसी मोबाइल कंपनी ने दी। लेकिन दीपेश ऐसे मोबाइल कंपनियों के ऐसे कारनामे से अवगत था। उन्होंने मांगी गई रकम मिलने वाली रकम से काटकर भेज देने का जवाब दिया। जवाब मिलने के बाद अब तक न तो उसे पुन: कांटेक्ट किया गया और न ही उपहार मिला। यह कहानी रोज कहीं ना कहीं किसी दिनेश, किसी महेश एवं दीपेश के साथ घट रही है। प्रतिदिन उपहारों का झांसा देकर लोगों को ठगने का बहुत बड़ा नेटवर्क चलाया जा रहा है। कभी-कभी तो उपहारों का झांसा देने वाले नंबर पाकिस्तान के भी हुआ करते हैं। खास बात तो यह है कि इस नेटवर्क के सदस्य किसी नंबर को एक या दो बार ही प्रयोग करते हैं। झांसे में आने वाले लोगों को तीन-चार नंबर और उपलब्ध कराकर बात करने को कहा जाता है। इस क्रम में कई नंबर ऐसे भी होते हैं जो नेट के माध्यम से फोन कराया जाता है। नेट के माध्यम से आने वाली नंबरों के डिजिट कुछ भी हो सकते हैं। पांच दिन पूर्व काली बाजार के ही एक व्यक्ति को एक दर्जन बार मिस काल आया। मिस काल का जवाब नहीं देने के दो दिन बाद उसी नंबर से एक महिला ने फोन किया। उपहार का बात भी छिड़ी लेकिन जल्द ही बात बिगड़ गयी। आए दिन ऐसे फर्जी नंबर वालों से मोबाइल धारक परेशान हो रहे हैं। एसपी शिवदीप लांडे कहते हैं कि ऐसे काल या मैसेज पर लोगों को विश्वास नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उपभोक्तावादी इस युग में आखिर कोई क्यों किसी को बिना कुछ किए लाखों या हजारों रुपये गिफ्ट देने जाएगा।

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