Friday, July 6, 2012

प्रवासी मजदूर बने गांजा तस्करी के वाहक


अररिया : देश के महानगरों को जोड़ने वाली सीमांचल एवं आम्रपाली एक्सप्रेस गांजा तस्करों के लिए मुफीद साबित हो रही है। तस्करी के इस धंधे की खासियत इसके संवाहक हैं। दरअसल तस्करों द्वारा प्रवासी मजदूरों को इसके लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। सीमांचल से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में जाने वाले मजदूरों को तस्कर आसानी से कूरियर के रूप में प्रयोग कर रहे हैं। हालांकि हाल के दिनों में अररिया के एसपी शिवदीप लांडे द्वारा गांजा के कारोबारियों पर कसी गई शिकंजा से तस्करों ने थोड़ी बहुत सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है, लेकिन महानगरों में भेजा जाने वाला माल में कोई कमी नहीं आयी है।
नेपाल की घाटियों में फसल की तरह गांजा की खेती को संरक्षण मिल रहा है। माल तैयार होने के बाद नेपाली कारोबारी अपने अपने माल भारतीय क्षेत्र में आसानी से पहुंचा देते हैं। अररिया जिले के नरपतगंज सीमा से लेकर कलियागंज टेढ़ागाछ तक हजारों ब्रोकर नेपाल से गांजा इक्कट्ठा करते हैं। फिर उसे तस्करों के हाथ बेच देते हैं। यही तस्कर दो से तीन किलो का प्लास्टिक कोटेड गठ्ठर तैयार कर मजदूरों के हवाले कर देते हैं। अन्य प्रांतों में जाने वाले मजदूरों के झुंड में 30 से 40 गठ्ठर आसानी से निकल जाते हैं।
खास बात यह कि प्रवासी मजदूर वाहक के साथ-साथ सेवन का कार्य व्यापक पैमाने पर करते हैं। महानगरों में शिफ्ट दर शिफ्ट काम करने के दौरान थकान से दूर होने के लिए मादक पदार्थो का सेवन किए बिना नहीं रह पाते हैं। ऐसे मजदूरों को उनके खुराक की पूर्ति तस्कर तो करते ही है साथ ही माल ढोने के लिए अलग से मजदूरी भी प्राप्त हो जाती है। कुर्साकाटा, सिकटी के प्रवासी मजदूरों की बातों पर यकीन करें तो नेपाल सीमा से दिल्ली या मुंबई तक माल पहुंचाने के लिए तस्करों द्वारा दो से तीन हजार का प्रलोभन दिया जाता है। इस राशि को मजदूर भाड़ा के तौर पर उगाही तो करते ही हैं साथ ही महीना दो महीना का खुराक भी अलग से मिल जाता है। मजदूरों का कहना है कि तस्करी में वैसे लोग भी शामिल होते हैं जो बतौर मजदूरों का ठेकेदार भी होते हैं। ठेकेदार प्रतिवर्ष चार से पांच दर्जन मजदूरों को देश के बड़े बड़े शहरों में काम करने के लिए ले जाते हैं। जब मजदूरों के झुंड को विदा किया जाता है तो उसे ठेकेदार लगेज के तौर पर ये सौंप दिया जाता है। फिर निर्धारित स्थान पर पहुंचने के बाद उस गट्ठर को ले लिया जाता है। बताया तो यह भी जाता है कि ऐसे मजदूर गाड़ी खुलने से पहले ही बोगी के बोगी स्थान को सुरक्षित कर लेते हैं।
क्या कहते हैं एसपी अररिया के एसपी शिवदीप लांडे ने बताया कि उनके कार्य क्षेत्र में आने वाले जितने भी तस्कर, माफिया, दलाल, बिचौलिए, अपराधी है उस पर उनकी नजर है। ऐसे लोगों की गतिविधियों पर उनकी पुलिस काफी चौकस है। इसी का नतीजा है कि आधा दर्जन से अधिक गांजा कारोबारियों पर लगाम लगाया गया है। लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि अररिया से प्रतिदिन सैकड़ों मजदूर अलग-अलग क्षेत्रों से बड़े-बड़े शहर जा रहे हैं। इन सब पर नजर रखना संसाधन के हिसाब से आसान नहीं है। एसपी ने बताया कि रेलवे पुलिस सीमा पर तैनात एसएसबी एवं कस्टम को भी ऐसे कारोबारियों पर लगाम लगाने के लिय सक्रिय रहना पड़ेगा।

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