Saturday, July 7, 2012

बिन पैसा, कैसे लड़ा जाए बाढ़ से जंग!


अररिया : 18 अगस्त 2008। जब कुसहा में कोसी बंधनमुक्त हुई तो दूसरे इलाके के साथ अररिया भी प्रभावित हुआ। नरपतगंज प्रखंड के लोग इससे आज तक नहीं उबर पाए हैं। इस बार भी मानसून के प्रवेश होते ही बाढ़ ने दस्तक दे दी है। जिले का अररिया, कुर्साकांटा, जोकीहाट, सिकटी, पलासी आदि प्रखंड में प्रत्येक वर्ष भीषण बाढ़ आती है। इस बार बाढ़ पूर्व तैयारी के नाम पर अब तक मात्र एक बैठक ही हो पाया है। उसे भी करीब एक माह गुजर गए जिले में बाढ़ से बचाव के नाम पर न तो एक रूपया है और न ही एक क्विंटल अनाज। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि, अगर बाढ़ आ जाए तो इससे जंग कैसे लड़ा जाए।
अब तक न तो किसी अंचल में नियंत्रण कक्ष स्थापित है, और न ही खराब नावों का मरम्मत हो सका है। खाद्य सामग्री की आपूर्ति सरकार से नहीं हुआ है। पालीथीन, सलाई, मोमबत्ती, नमक, चूड़ा, गुड़ आदि के लिए अब तक क्रय समिति की बैठक तक नहीं हो पाई है। आपदा प्रबंधन की ओर से उक्त सामानों के लिए निविदा प्रकाशित कराई गई। लेकिन विडंबना यह है कि सिर्फ पालीथीन के लिए चार संवेदक ने निविदा डाली है। बांकी सामानों के लिए एक भी संवेदक ने निविदा नहीं डाली।
जिला आपदा प्रबंधन विभाग के पास बाढ़ मद में एक किलो अनाज भी नहीं है। जबकि अग्नि सहाय मद में सरकार द्वारा प्राप्त 6200 क्विंटल खाद्यान्न को बाढ़ सहाय मद सुरक्षित रखने का निर्देश आपदा प्रबंधन के प्रधान सचिव से मांगी गई, लेकिन सरकार ने अब तक निर्देश नहीं दिया। अब सवाल यह उठता है कि क्या भोज के वक्त कुम्हड़ लगाया जायेगा? जिला आपदा प्रबंधन पदाधिकारी तौकिर अकरम की मानें तो बाढ़ पूर्व तैयारी की जा रही है। सामानों के क्रय के लिए निविदा आमंत्रित की गई है। बाढ़ से निबटने के लिए प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है।

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