Friday, July 6, 2012

बाढ़ बनी नियति, हर साल जान माल का नुकसान झेलते लोग


रेणुग्राम (अररिया) : नेपाल की सीमा से लगे फारबिसगंज प्रखंड में पांच दशक पहले बाढ़ का आतंक नहीं था। वहीं अब यहा की जनता बाढ़ की त्रासदी झेलने को विवश है। इन वर्षो में यहां बाढ़ के कारण अरबों की क्षति हुई है, बावजूद इसके प्रशासनिक तंत्र एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा इसकी रोक थाम के उपायों के लिए कोई निर्णायक पहल नही की गई है।
क्षेत्रीय लोगों के अनुसार चार-पांच दशक पूर्व यहां आने वाली बाढ़ की स्थिति इतनी भयावह नही हुआ करती थी। क्षेत्र में आने वाली बाढ़ किसानों के लिए खुशियां की सौगात लेकर आती थी। बाढ़ के समय आने वाली नई मिट्टी फसलों के लिए सोना साबित होती थी। पर अब बाढ़ ने इस क्षेत्र में तीस पैतीस वर्षो से भयानक रूप ले रखा है।
नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों से निकली परमान, गगराहा, बहेलिया सहित अन्य कई छोटी-छोटी नदियां मुख्य रूप से बाढ़ का कारण है। इनसे सिर्फ फारबिसगंज प्रखंड हीं नहीं जिले के आधा दर्जन प्रखंडों एवं जिला मुख्यालय तक में बाढ़ के पानी का तांडव मचा रहता है और तो और कोसी नदी के जलस्तर बढ़ने से परमान नदी में नहरों का पानी गिराया जाता है, जिससे परमान नदी का जलस्तर काफी बढ़ जाता है और क्षेत्र में बाढ़ की पीड़ा भयावह रूप ले लेती है। बाढ़ के कारण् हर साल करोड़ो की फसल का नुकसान होता है और सरकारी विकास योजनाएं कबाड़ा हो जाती हैं।

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