अररिया : पलासी थाने के कुजरी गांव की एक लड़की की हत्या व दुष्कर्म के मामले में मंगलवार को नामजद अभियुक्तों ने कोर्ट में आत्म समर्पण कर दिया है।
इस संबंध में पिछले 27 दिसंबर 11 को पलासी थाने में कांड संख्या 176/11 दर्ज हुआ था। वादी बने मृतका साईका की मां बीबी अरुशा ने उक्त प्राथमिकी दर्ज कराया। जिसे पलासी के पुलिस अनि मिथिलेश कुमार ने इस प्राथमिकी को भादवि की धारा 376, 302, 201/34 के तहत पंजीकृत किया तथा महेन्द्रपुर निवासी गुलाबचंद मंडल के पुत्र रूपेश उर्फ रितेश, बुधु मंडल समेत उसी गांव के कुल पांच लोगों को नामजद तथा दो अज्ञात लोगों के विरुद्ध दर्ज कर लिया। उक्त घटना 27 दिसंबर 11 को कुजरी गांव की बताई जा रही है। इस मामले में आरोप लगाया गया कि वादी की दस वर्षीय पुत्री साईका अपनी छोटी बहन के साथ बकरी चराने गयी। जहां सूचना पर खोजबीन के बाद साईका को नग्न अवस्था में मृत पाया गया तथा खरोच के निशान थे।
यह भी उल्लेख है कि खोजबीन के क्रम में सभी आरोपी भागते देखे गये। वहीं नामजद लोगों द्वारा साईका के साथ गला दबाकर दुष्कर्म कर हत्या करने का दावा किया गया है।
इस मामले में सभी आरोपियों ने सीजेएम कोर्ट में पुलिस की दबिश के कारण सीजेएम कोर्ट में आत्म समर्पण करने की बात कही। वहीं रितेश का उम्र उल्लेख करते कोर्ट में पेटिशन दायर की गयी है।
परंतु विधि नेताओं के अनुसार सवाल उठता है कि क्या छह वर्षीय रूपेश को नामजद अभियुक्त बनाया जा सकता है? इस संबंध में विधि के जानकारों के अनुसार भारतीय दंड संहिता की धारा 82 में स्पष्ट उल्लेख है कि- 'नथींग इज एन ओफेन्स, ह्वीच इज डन बाय चाइल्ड अन्डर सेवन इयर्स आफ एज'। जब भादवि की उक्त धारा में यह बात स्पष्ट उल्लेख है तो आखिर पलासी पुलिस ने छह वर्षीय रितेश उर्फ रूपेश के विरुद्ध आखिर कैसे प्राथमिकी पंजीकृत कर ली। क्या प्राथमिकी दर्ज के पूर्व के कानूनी प्रावधान को पुलिस क्यों भूल गयी।
भले हीं इस मामले में आरोपी पुलिस कप्तान शिवदीप लांडे के जारी अभियान व पुलिस की दबिश के कारण कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया है।
News Source - in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar
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