बथनाहा (अररिया) : सीमावर्ती फारबिसगंज अनुमंडल अपने स्थापना के दो दशक बाद भी क्षेत्रीय जनप्रतिनधियों के वादा खिलाफी एवं पदाधिकारियों के उदासीनतापूर्ण रवैये के कारण उपेक्षित बना हुआ है। आज तक यहां जुडिशियल कोर्ट की स्थापना तथा उपकारा का निर्माण नहीं हो पाया है। जिसके कारण अनुमंडल क्षेत्र के पूर्णिया तथा सुपौल जिले के सीमा से लगने वाले तथा अनुमंडल क्षेत्र के 80 से 100 किलोमीटर की दूरी के ग्रामीणों को अररिया जिला स्थित न्यायालय का चक्कर काटना पड़ रहा है। अधिवक्ता संघर्ष समिति फारबिसगंज अनुमंडल से जुड़े अधिवक्ताओं के साथ विभिन्न राजनैतिक दलों के कार्यकर्ताओं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बताया कि जुडिशियल कोर्ट, पदाधिकारियों के क्वार्टर तथा उपकारा के स्थापना एवं निर्माण के लिए वर्तमान में 28.64 एकड़ बिहार सरकार को जमीन भी उपलब्ध है। जिस जमीन पर रेफरल अस्पताल, वाणिज्य कर अंचल कार्यालय, अनुमंडल पदाधिकारी कार्यालय, एसडीपीओ कार्यालय, उपकोषागार पदाधिकारी कार्यालय, विकास भवन आदि निर्मित है।
माननीय उच्च न्यायालय पटना के द्वारा वर्ष 2007 में ही फारबिसगंज अनुमंडल में जुडिशियल कोर्ट की स्थापना के लिए प्राथमिकता सूची के क्रमांक 05 पर चिन्हित किया गया है। इस क्रम में माननीय जिला एवं न्यायाधीश पूर्णिया के द्वारा जिला पदाधिकारी अररिया को आवश्यक पत्र भेज कर पांच एकड़ जमीन उपलब्ध कराये जाने की मांग की गयी। भूमि संबंधी मामले निष्पादन हो जाने से जुडिशियल कोर्ट, पदाधिकारियों का आवास, वकालत खाना का निर्माण का रास्ता प्रशस्त होता नजर आ रहा है।
बहरहाल अनुमंडल अनुमंडल क्षेत्र वासियों की नजरें माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार बिहार सरकार के पूर्णिया प्रमंडल के सेवा यात्रा पर लगी हुई है कि शायद उनकी नजर इस ओर जाये।
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