कमर आलम (अररिया), संवाद सहयोगी: खेल के मामले में अररिया की अपनी अलग पहचान थी। आज भी जिले में खेल प्रतिभाओं की कमी नही है। मगर सही प्रशिक्षण, उचित मार्गदर्शन एवं सरकार से उन्हें मदद मिले तो जिला पुन: अपना खोया हुआ वकार हासिल कर सकते हैं। फुटबाल इस जिले का सबसे लोकप्रिय खेल हुआ करता था। राष्ट्रीय स्तर पर यहां के खिलाड़ियों ने अपनी अलग पहचान बनाई थी। अररिया के जिला बनने से पहले एकीकृत पूर्णिया जिला में राष्ट्रीय स्तर के दर्जनों खिलाड़ी हुआ करते थे जिन्हें उस समय के जमींदारों एवं राजा रजवारों द्वारा पूरा सहयोग किया जाता था। अररिया के हीरा सेन गुप्ता, मानिक दा, अब्दुल समद, अब्दुल हफीज (पहाड़ी), नेती यादव, मीर कबीर, एनुल हक समधी, सरोज रक्षित नानू दा फुटबाल के भीष्म पितामह माने जाते थे। हीरा सेन ईस्ट बंगाल एवं समद इंडियन ऐलेवन के तरफ से खेल चुके हैं लेकिन आज मानो फुटबाल अपने खोए हुए गौरवशाली इतिहास को ढूंढ रहा है। नई पीढ़ी तो इन खिलाड़ियों को जानती तक नही। क्रिकेट के बढ़ते गैलेमर के कारण फुटबाल मानो इतिहास की बात बन कर रह गयी। अब युवा वर्ग का झुकाव अब क्रिकेट की ओर है। जिले के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी एवं कोच गोपेश सिन्हा ने बताया कि क्रिकेट में भी जिला ने बेहतर प्रदर्शन किया है। जिले के ओम प्रकाश, चांद आजमी, परवेज आलम एवं प्रदीप वासु स्टेट लेबल के इंपायर हैं। श्री सिन्हा ने कहा कि पहले बेहतर खिलाड़ी को सरकारी नौकरी में प्राथमिकता दी जाती थी जिस कारण सैकड़ों खिलाड़ी आज नौकरी में हैं। लेकिन पेट की भूख और प्रशासनिक उपेक्षा के कारण आज खेल प्रति युवाओं में उत्साह की कमी है। टाउन क्लब के पूर्व सचिव अब्दुल सलाम ने बताया कि एथिलिट में भी अररिया ने अपना परचम लहराया है। वकार अहमद, कैप रजा राज स्तरीय एथलिट रह चुके हैं। जबकि माज आदिल राष्ट्रीय स्तर धावक के रूप में अपनी पहचान बनाई। जिला क्रीड़ा संघ के सचिव मासूम रजा, ने बताया कि आर्थिक तंगी, सरकारी उदासीनता के चलते खेल प्रभावित हो रहा है। जिला बनने के 22 वर्षो के बाद भी आज तक जिला खेल पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति अररिया में नही हुई। अररिया का एक मात्र नेताजी स्टेडियम खेल से ज्यादा सरकारी कार्यो के उपयोग में आता है।
अररिया में मनोरंजन के एक मात्र साधन सिनेमा की स्थिति बदतर है। केबुल व डीस के चलते ये बुरी तरह बदहाली की ओर से गुजर रही है। अररिया में एक भी मनोरंजन स्थल, चिड़ियां घर, पार्क, आडिटोरियम नही है। दिलचस्प बात यह है कि अररिया के पदाधिकारी एवं राजनेता केवल खेल उद्घाटन एवं पुरस्कार वितरण में रुचि लेते हैं।
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