Sunday, March 4, 2012

बीआरजीएफ में 3.5 लाख की अवैध निकासी


अररिया : ज्यों ज्यों दवा की, मर्ज बढ़ता ही गया.. की तर्ज पर अररिया में घोटाले का घुन भी फैलता जा रहा है। प्रशासनिक चौकसी से हालांकि कई घोटालों पर से पर्दा जरूर हटा है। लेकिन नई दुल्हन की घूंघट की तरह घपलों की सूची भी लंबी होती जा रही है। यहां कल्याणकारी बीआरजीएफ योजना भी घोटाले की चपेट में आ गई।
जोकीहाट प्रखंड में इस योजना के तहत पंचायत सचिव का फर्जी हस्ताक्षर कर करीब साढे़ तीन लाख की अवैध निकासी कर ली गई है। नए पंचायत सचिव के योगदान देने के बाद उन्होंने यह राज खोला है। इसके बाद वहां के प्रखंड विकास पदाधिकारी ने पूर्व मुखिया से स्पष्टीकरण पूछा है।
डेहटी पैक्स, इंदिरा आवास, मनरेगा आदि योजनाओं में घपले यहां उजागर होते रहे हैं। अब ताजा प्रकरण में बीआरजीएफ योजना में भी घपले की शिकायत सामने आयी है। प्रखंड के चकई पंचायत में बीआरजीएफ योजना के तहत सोलर लाइट लगाने के लिए 3 लाख 24 हजार स्वीकृत हुए। गांव वासियों को अभी तक सोलर लाइट की दुधिया रोशनी का दर्शन तो नहीं हुआ लेकिन मिलीभगत से उक्त राशि की फर्जी निकासी जरूर हो गई। मामला पर से पर्दा भी शायद नहीं उठता लेकिन नए पंचायत सचिव को जब पुराने सचिव ने स्थानांतरण के बावजूद प्रभार नहीं दिया तो शक के आधार पर उन्होंने बैंक स्टेटमेंट निकाला। इससे पता चला कि 3 लाख 24 हजार की राशि निकाली जा चुकी है।
पंचायत सचिव विमल कुमार यादव ने चकई पंचायत में जुलाई 2010 में योगदान दिया। इससे पूर्व वहां शिवनारायण उरांव सचिव थे। लेकिन स्थानांतरण किए जाने के बावजूद उन्होंने श्री यादव को प्रभार नहीं दिया। उस वक्त वहां के मुखिया अशोक गुप्ता थे। बिना प्रभार लिए सचिव विमल यादव ने किसी भी चेक पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। लेकिन इसके बावजूद स्टेट बैंक आफ इंडिया में स्थित उक्त पंचायत के खाता संख्या 30378571801 से दिनांक 18.12.10 एवं 17.02.11 को क्रमश: 93,000, 93000, 92000 एवं 46,000 रुपये कुल 3 लाख 24 हजार की निकासी कर ली गई। निकासी किये गए रुपयों के चेक पर तत्कालीन मुखिया अशोक गुप्ता एवं स्थानांतरित पंचायत सचिव शिवनारायण उरांव के हस्ताक्षर हैं। जबकि श्री उरांव उस वक्त दूसरे पंचायत के सचिव थे। बावजूद उनका फर्जी हस्ताक्षर कर पैसा उठा लिया गया। हालांकि इसमें बैंकों की भूमिका भी संदिग्ध बतायी गई है। मामला प्रकाश में आने के बाद बीडीओ ने पूर्व मुखिया अशोक गुप्ता से स्पष्टीकरण पूछा है।

0 comments:

Post a Comment