Sunday, May 13, 2012

मौसम चुनावी है, फटाफट कर डालिए लगन


अररिया : शादी व अन्य मांगलिक कार्यो के लिए हेल्पिंग हैंड की कमी का रोना लोग अक्सर रोते हैं। लेकिन इन दिनों चल रहे चुनावी मौसम में मांगलिक कार्यो के लिए सैकड़ों हाथ नि:शुल्क उपलब्ध हो रहे हैं। मौसम शुभ है, फटाफट कर डालिए लगन।
किसी भी वार्ड में किसी के घर शादी, पूजा या कोई अन्य मांगलिक कार्य की 'गंध' मिलते ही चुनावी संग्राम में जुटे लोग फटाफट पहुंच जाते हैं। .. भैया, कोई काम हो तो बोलिएगा। गैस-उस का व्यवस्था हो गया क्या? जो भी जरूरत हो, संकोच नहीं कीजिएगा।
इसी बीच दूसरे उम्मीदवार के समर्थक पहुंचते हैं। .. अरे, अपना काम है। इसके लिए कैटरर की क्या जरूरत? हम तो जूठे पत्तल भी उठाने के लिए तैयार हैं। परिदृश्य यह है कि किसी प्रकार के आयोजन के लिए काम करने वालों की कोई कमी नहीं।
चुनावी मौसम में अद्भुत सामाजिकता के दर्शन हो रहे हैं। प्रत्याशी विनीत और उनके समर्थककिसी भी कार्य को करने के लिए तत्पर।
साइड स्टोरी
हो रही प्रवासी मतदाताओं को लाने की तैयारी
अररिया, जाप्र: चुनाव में एक-एक वोट का महत्व है। इसलिए विभिन्न वार्डो में प्रत्याशी व उनके समर्थक हर वोट पर नजर रख रहे हैं। वोटर अगर शहर से बाहर है तो उसे मतदान के दिन शहर में लाने का जुगाड़ हो रहा है।
यहां के बहुत से युवा व छात्र अध्ययन अथवा अन्य कार्यो से दिल्ली, चेन्नई व पटना में रह रहे हैं। ऐसे युवा वोटरों को बस चुनाव के दिन वोट गिराने के लिए वापस लाने की तैयारी की जा रही है।
साइड स्टोरी
प्रचार चरम पर, प्रत्याशी कर रहे जीत का होमवर्क
क्रासर-मतदाताओं को रिझाने की हो रही हर कोशिश
अररिया, जाप्र: शहरों में चुनाव का नशा सिर चढ़ कर बोल रहा है। प्रचार चरम पर है। लाउड स्पीकरों का शोर कान फाड़ रहा है। मतदाताओं को अपने पक्ष में गोलबंद करने की हर संभव कोशिश की जा रही है।
गीत संगीत के सहारे कई प्रत्याशी मतदान की याचना कर रहे हैं। राष्ट्रीय गीतों के सहारे वोटरों में जोश भरने की कवायद हो रही है। ..हर करम अपना करेंगे, ऐ वतन तेरे लिए। वहीं, किसी दूसरे की प्रचार गाड़ी से आवाज आती है: .. कर चले हम फिदा जानेतन साथियों, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों।
वार्ड के विकास के नाम पर सब कुछ फिदा करने का वायदा और हर वक्त सेवा में तत्पर रहने का वचन भी।
इस ऊपरी तामझाम के बीच वोटरों की चौखट पर सजदा करने का कार्य भी लगातार हो रहा है। अभ्यर्थी अपने वार्ड की हर गली व हर दहलीज पर दस्तक दे चुके हैं। एक बार नहीं, दो बार नहीं बल्कि कई बार। रिश्तों के शब्दकोश का हर शब्द प्रयोग में लाया जा रहा है।
भईया, आश्वासन सबको लेकिन वोट हम ही को देना। इधर, वोटरों की भी सुन लीजिए: क्या बोलेंगे, भाय, ई कैंडिडेट सब तो खाना पीना तक हराम कर दिया है। लेकिन वोट तो गिराना है और बढि़या व्यक्ति को चुनकर भेजना भी है। यानी नप चुनावों को लेकर हर शख्स सक्रिय है। लेकिन सक्रियता का करंट अंदरखाने ही बह रहा है।

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