Saturday, May 19, 2012

क्या लोकशाही अपने सही स्वरूप में सामने आ रही?


अररिया : गुरुवार को लोकतंत्र वयस्क होता दिखा। मतदाताओं के तनावरहित चेहरे, चुनाव प्रक्रिया में कमजोर वर्ग की भागीदारी, निर्वाचन कार्य में तंत्र के हर महकमे की सक्रियता आदि को देख कर यही लगा कि अब शायद लोकशाही अपने सही स्वरूप की ओर मजबूत कदम उठा रही है। यह भी कि आमजन अपने व अपने वोट के महत्व को समझने लगे हैं।
अररिया नगर परिषद की स्थापना को अब लगभग चालीस साल हो गये हैं। इसके लिए अब तक आधा दर्जन से अधिक बार चुनाव हो चुके हैं। वहीं, शहर वासियों ने कई लोकसभा व विधानसभा चुनावों में भी अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। लेकिन चुनावों को लेकर शहर में एक समझदारी जरूर विकसित हो रही है कि चुनाव लोकशाही का एक हेल्दी कंपीटीशन है और इसे उसी रूप में लिया भी जाना चाहिये।
जानकारों की मानें तो पहले के चुनावों में बूथ कैप्चरिंग, मतहरण, हिंसा, भयादोहन, गुटों के बीच झड़प जैसी घटनाएं आम बात थी। लेकिन इस बार ऐसी घटनाएं नगण्य रही। हालांकि कुछेक जगहों पर पैसा बांटने की शिकायतें जरूर मिली, ये आरोप थे और इनकी पुष्टि नहीं की जा सकी। हां चुनावों से पहले दारू शराब बांटने की कोशिश जरूर की गयी, लेकिन यह नहीं भूलें कि पुलिस ने ऐसे लोगों पर सख्ती भी की।
लेकिन सबसे बढ़कर चुनावों के दौरान व्याप्त वातावरण की ओर नजर देने से कई बातें एक साथ दिखती हैं। लोग वोट के महत्व समझने ले हैं। यहां तक कि कई जगह अलग अलग लड़ रहे प्रत्याशी भी एक दूसरे से तनाव मुक्त माहौल में बतियाते दिखे।
इधर, चुनाव में भाग लेने को ले आमजन अपने कार्यो को निबटाने के बाद तैयार हो कर बूथों पर पहुंचे। ककोड़वा स्कूल पर दो युवक साइकिल पर एक वृद्ध महिला को मतदान के लिए लेकर आये। महिलाओं ने रसोई पानी बना कर मतदान करना जरूरी समझा। शहर वासी वोट डालने के बाद इस तरह अपने काम में लग गये कि मानों वोट डालना एक दैनिक कार्य था जिसे पूरा कर लिया गया है। हालांकि, इस चुनाव में लोकशाही व तंत्र के प्रति जन की जिम्मेवारी सबसे आगे रही।

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