Sunday, May 20, 2012

नप चुनावों के रास्ते हो रहा नारी शक्ति का उदय


अररिया : नगर परिषद चुनाव की मतगणना के दौरान बाजार समिति परिसर में खूबसूरत दृश्य देखने को मिला। चुनाव में विजयी हुई महिलाएं पेड़ के नीचे इकट्ठा थी और अपना दुख सुख बतिया रही थी। सबके चेहरे पर जीत की खुशी साफ झलक रही थी। बाद में उन्होंने एक दूसरे का हाथ पकड़ कर तस्वीरें भी खिंचवाई। ऐसा लगा कि चुनावी तनाव दूर कहीं पीछे छूट चुका है। अब एकजुट होकर कुछ करने की तमन्ना है। यह भी कि अररिया में नप चुनावों के रास्ते नारी शक्ति का उदय हो रहा है।
अररिया में जहां हाल के दिनों तक महिलाएं घर की दहलीज से बाहर नहीं निकलती थी यह बड़ी बात है।
आंकड़ों पर गौर करें तो इस बार के चुनाव में महिलाओं ने पुरुषों को पीछे छोड़ दिया है। अररिया में 29 सीटों में से 16 पर महिलाओं का कब्जा हुआ है। इनमें से तीन सीटें ऐसी हैं जो महिलाओं के लिए आरक्षित नहीं थी। इसी तरह फारसिबगंज में 25 में से 13 तथा जोगबनी में 19 में से दस सीटें महिलाओं के हिस्से रहीं हैं। इन तीनों नगर निकायों में मुख्य पार्षद का पद महिलाओं के लिए ही आरक्षित है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस बार के चुनाव के बाद जिले में शहरी विकास का महत्वपूर्ण दायित्व महिलाओं के हाथ में ही रहेगा। बहरहाल यह देखना रुचिकर होगा कि महिलाएं विकास की ड्राइवर्स सीट पर बैठ कर कितनी गतिशील हो पाती हैं।
नगरों की राजनीति में सक्रिय तकरीबन सभी प्रमुख महिलाएं इस बार चुनाव जीतने में सफल रही। एंटी इंकंबेंसी के दौर में भी अररिया की मुख्य पार्षद अफसाना परवीण व फारबिसगंज की मुख्य पार्षद वीणा देवी दुबारा जीतने में सफल रही हैं। जोगबनी की तरन्नुम राज व अररिया की शहनाज पहले ही निर्विरोध चुनी जा चुकी हैं। वहीं, अररिया से अनुराधा देवी, मधु देवी, अस्मत आरा सहित कई अन्य महिलाएं भी दोबारा जीतने में सफल रही हैं। इसके अलावा स्वीटी दासगुप्ता, पूनम देवी, मरजान कौसर, अंजुम आरा व शबाना शाहीन ने भी चुनाव जीत कर शहरी राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज करवायी है।
हालांकि नारी सशक्तीकरण के ताजा दौर में सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि अब भी वे अपने पति व अन्य परिजनों की छाया से मुक्त नहीं हो पायी हैं। लेकिन यह शायद लक्ष्य हासिल करने का पहला स्टेज है। आने वाले दिनों में महिलाएं स्वयं के निर्णय लेने व गतिशील नेतृत्व देने को सक्षम होगी। इस दौरान उनके सामने न केवल विकास को आगे बढ़ाने का जिम्मा होगा बल्कि आधी आबादी की बदहाली को दूर करने का दायित्व भी होगा।

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