Sunday, May 20, 2012

बांग्लादेश के अलावा नेपाल में हो रही पशुओं की तस्करी


नरपतगंज (अररिया) : दुधारु मवेशियों की लगातार घटती संख्या से अब गांवों में भी पर्याप्त कीमत देने के बावजूद भी दूध उपलब्ध नहीं हो रहा है, गांवों में भी दूध की किल्लत हो गई है। सात-आठ वर्ष पूर्व नरपतगंज प्रखंड के खेतिहर किसानों का मवेशी पालन कर दूध का व्यवसाय कर जीवन यापन कर जरिया था। बताया जाता है कि नरपतगंज से फारबिसगंज जाने वाली ट्रेन देवीगंज से आगे 7 किमी दूरी पर दूध व्यवसाय करने दहियार सब ट्रेन रोक कर जबरन ट्रेन के खिड़की पर दूध भड़ी बर्तन की कड़ी लगा देते थे। ट्रेन वहां महीनों में 25 दिन निश्चित रूकती थी। उसी दहियार का व्यवसाय करने वालों के नाम पर दरगाहीगंज नाम पड़ गया। लेकिन ट्रेनों में अब दहियार नजर नही आते है।
* क्यों गुम हुआ व्यवसाय और घट गया उत्पाद
जानकार बताते हैं कोशी की बाढ़ की विभिषिका ने चारे की समस्या उत्पन्न कर दी। मवेशी के स्वास्थ्य की समुचित व्यवस्था न होना दूध के उत्पाद पर प्रतिकूल असर डाला है।
* नाकेबंदी के बावजूद पशुओं के तस्करी का कारोबार परवान पर
यूं तो जिले के चारों तरफ पुलिस का नाकेबंदी है बावजूद इनमें पशुओं की खेप अलग-अलग रास्ते से गुजर रही है। जबकि उनके पास इसका कोई कागजी प्रमाण नही है। बंगलादेश कुछ वर्ष पूर्व से ही पशुओं की तस्करी अररिया के रास्ते से होते हुए बंगलादेश हो रही है। लेकिन पशु तस्करों ने अब एक और नया रूट खोज निकाला है। यह रास्त नरपतगंज नेपाल सीमा क्षेत्र के गांवों के रास्ते से हो रही है। जानकारी के अनुसार सीमापार नेपाल के इनरवा जिला में नरसिंह में आधुनिकतम चाइना कसाई फेक्ट्री खुली है। वहां 200-300 पशुओं की मांग है। इस फैक्ट्री से मांस की पैकिंग कर उसे चाइना अमेरिका सहित अन्य देश में भेजा जाता है। घुरना, बसमतिया, फूलकाहा, सोनापुर, बेला के तरफ से सीमा की तरफ जाने वाली पगडंडियों और नदियों के तटबंधों पर हांक कर आगे-पीछे तस्करों के आदमी हो लेते है और फिर मौका पा कर सीमा पार बैठे नेपाल के पशु तस्करों के हवाले कर देते है। हालांकि बार्डर पर एसएसबी तैनात है कभी-कभार मवेशी भी पकड़ाती है। घुरना थाना प्रभारी तस्करी की मवेशी को पकड़कर छोड़ दिया जाने पर का मामला मीडिया में एसपी लांडे ने थानाध्यक्ष को निलंबित कर दिया था। इन पशुओं की तस्करी लगाम नही लगे तो तस्कर पशुओं का वर्चस्व न खत्म कर दे। कहा जाता जिस देश में दूध की नदियां बहती थी वहां दूध एक सपना न हो जाए। सीमा से दूसरी सीमा में पशुओं को भेजा जा रहा है।

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