अररिया, : त्वरित न्याय के दावों के बीच यह आश्चर्यजनक तथ्य है। बारह साल बाद भी न्यायालय को केस डायरी का इंतजार है। केस डायरी के इंतजार में तीस साल बाद भी हत्या के प्रयास का मामला
लटका है।
तीस साल पूर्व रानीगंज थाना में छह दिसंबर 1982 को दारोगा रहे रमापति मलिक ने कांड संख्या 181/82 दर्ज करवाया। रानीगंज थाना अंतर्गत काला बलुआ में फसल लूट की घटना घटित हुई। स्थानीय ग्रामीण कृपानंद झा ने शिकायत की थी कि उनके खेत में लगी धान की फसल कटाई के बाद घर ला रहे थे कि संग्राम मरांडी दस-बारह व्यक्तियों के साथ आए और फसल छीन कर ले गये। यह मामला हत्या के प्रयास आदि को लेकर दर्ज किया गया। मझुआ के संथाली टोला में संग्राम मरांडी पकड़े गये। दर्ज मामले में सूचक श्री मलिक ने कहा पुलिस दल के साथ तात्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी राजेश्वर प्रसाद भी थे। बाद में यह मामला सत्रवाद 154/99 के तहत न्यायालय में शुरू हुआ। फिलहाल यह मामला त्वरित न्यायालय प्रथम में केस डायरी उपलब्ध नहीं होने के कारण लंबित है। इस मामले में न्यायालय ने पत्रांक 128 दिनांक 08 जून 2000 में अररिया के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक को पत्र जारी किया। इस पत्र में केस डायरी की कार्बन कापी उपलब्ध कराने की मांग की गयी। पुन: सेसन कोर्ट ने 18 दिसंबर 2004 को पुलिस कप्तान को सरकारी पत्र जारी किया। सरकारी पत्र में कोर्ट द्वारा पारित आदेश का उल्लेख किया गया। केस डायरी की कार्बन कापी अविलंब दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने सरकारी पत्र का जवाब या केस डायरी की कार्बन कापी 20 जनवरी 2005 तक कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यदि उक्त तिथि तक कार्बन कापी नहीं पहुंचती है तो इसे न्यायालय की अवमानना माना जाएगा। कोर्ट ने इसकी जानकारी डीआईजी सहित डीजीपी को संज्ञानार्थ दी। लेकिन तारीख बदलती रही केस डायरी की कार्बन कापी न्यायालय नहीं पहुंची। इस बीच न्यायालय ने इस मामले के आरोपी संग्राम मरांडी को 29 सितंबर 11 को कोर्ट द्वारा फरार घोषित कर दिया गया।
कहते हैं एसपी
एसपी शिवदीप लांडे ने कहा कि इस मामले की जानकारी उन्हें नहीं है। एसपी ने कहा कि यह देखने की बात है कि केस डायरी क्यों नहीं पहुंची अथवा उनके कार्यालय से यह कापी निकल चुकी है। वैसे वो इस मामले को देखेंगे और माननीय न्यायालय के आदेश की अवहेलना नहीं होगी।
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