अररिया, : बुलंद हौसले एवं चट्टानी इरादे हकं तो मंजिल प्राप्त करना आसान हो जाता है। आसमान की बुलंदिया भी मानों इनके जज्बात को झुककर सलाम करती है। अररिया प्रखंड के मिर्जाभाग गांव में संचालित आवासीय सेतु पाठ्यक्रम में मौजूद नि:शक्त श्रवण बाधित बच्चे हौसले की अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं। इन बच्चों के जीवन में खुशियां लौटाने का प्रयास किया जा रहा है। बिहार शिक्षा परियोजना अररिया के सहयोग से उमंग बाल विकास संस्था इस दिशा में सार्थक प्रयास कर रही है। श्रवण बाधित बच्चों को मुख्य धारा के बच्चों के साथ लाने के लिए संस्था पुरजोर कोशिश में जुटा है। संस्था के लोगों का प्रयास और बच्चों की लगन अब रंग लाने लगी है।
लगभग 100 बच्चे जो विकलांगता के कारण समाज की मुख्य धारा से बिल्कुल अलग-थलग पड़े थे। नि:शक्त बच्चों के घर में मानों खुशियों की बहार आ गई है। जिन बच्चों से घर, समाज के लोग नफरत करते थे वैसे बच्चे भी अब प्यार के पात्र बन गए हैं। संस्था वैसे बच्चों को ग्यारह माह तक प्रशिक्षण देकर स्कूल में नामांकन कराएगी। इस सेतु पाठ्यक्रम में बच्चों को सरकार के द्वारा निशुल्क भोजन, आवास, वस्त्र, श्रवण यंत्र, खेलकूद की सुविधा के साथ-साथ स्विच थेरेपी, चित्रकला, हस्तकला का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उमंग संस्था के सचिव सतीश कुमार ने बताया कि अररिया जिला का यह पहला श्रवण-निशक्त बच्चों के लिए आरबीसी है। हालांकि जिले में एक सर्वे के मुताबिक चार सौ से अधिक ऐसे बच्चे हैं। लेकिन आवासीय सेतु पाठ्यक्रम मं फिलहाल सौ बच्चों के भविष्य को संवारने सजाने का काम चल रहा है।
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