Tuesday, December 21, 2010

अररिया जिले की मेला संस्कृति पर विशेष

अररिया (Araria District): मेला, मछली, मच्छर व मलेरिया.., बीते दिनों में अररिया को म अक्षर से शुरू होने वाले इन शब्दों के लिये खूब जाना जाता था। लेकिन जाड़ा बीत रहा है, इस साल अब तक कोई मेला शुरू भी नहीं हो पाया। जाहिर है कि सत्ता व शासन द्वारा समुचित प्रोत्साहन के अभाव में मेलों की आत्मा घुट रही है। यह बात भले ही सही हो कि मेलों के माध्यम से अररिया जैसे जिले में पर्यटन विकास की असीम संभावनाओं को स्वरूप दिया जा सकता है।
यहां की ग्रामीण संस्कृति की आत्मा निश्चय ही मेलों में बसती थी, लेकिन वक्त गुजरने के साथ मेला संस्कृति पर शहरी मॉल कल्चर भारी पड़ गया है। मेले तेजी के साथ सिकुड़ रहे हैं और इनके साथ जुड़ी नौटंकी जैसी खास विधाएं भी समाप्त हो रही हैं।
जानकारों के मुताबिक अररिया जिले में बरसात के दिनों को छोड़ तकरीबन साल भर मेलों से ग्रामीण वातावरण गुलजार रहता था।
अमर कथा शिल्पी फणीश्वरनाथ रेणु ने अपनी प्रसिद्ध रचना तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम की कथाभूमि के रूप में मेले को ही चुना। इस रचना पर तीसरी कसम नामक फिल्म भी बनी जिसमें राज कपूर ने गाड़ीवान हीरामन व वहीदा रहमान ने नर्तकी हीरा बाई की भूमिका अदा की थी। इस फिल्म ने भी मेलों को बेहद लोकप्रिय बनाया।
जानकारों की मानें तो अररिया जिले में बरसात के महीनों को छोड़ कर तकरीबन सालो भर मेले लगते रहते थे। जहां ग्रामीण जन जीवन को पूरे वर्ष की जरूरी खरीददारी के अलावा नौटंकी, सर्कस, जंबूरी व झूला जैसे स्वस्थ मनोरंजन के साधन भी उपलब्ध रहते थे।
इन मेलों से सरकार को भी भरपूर राजस्व मिलता था। लेकिन आधुनिकता के प्रवेश के कारण इस टीवी युग में नौटंकी जैसी खास कला अब समाप्त हो रही है। जिले की मेला संस्कृति मॉल कल्चर के बोझ तले कराह रही है। छोटे छोटे शहरों में भी अब शापिंग मॉल खुल रहे हैं, जहां लोगों को अपनी जरूरत का सब सामान एक जगह मिल जाता है।
मेलों के समाप्त होते जाने के कारण निश्चय ही सामाजिक मेलजोल व सद्भावना में कमी आयी है। जानकारों की मानें तो हरियाणा, राजस्थान व यूपी आदि प्रांतों में छोटे ग्रामीण मेलों के विकास से बड़ी संख्या में विदेशी टूरिस्ट आकर्षित हो रहे हैं। अगर आंचलिक खासियत से भरपूर अररिया जैसे जिले में भी मेलों के आयोजन को सही ढंग से सरकारी प्रोत्साहन मिले तो मेलों के माध्यम से यहां भी समृद्धि के नये द्वार खोल जा सकते हैं।
बाक्स
अररिया व आसपास लगने वाले प्रमुख मेलों की सूची
1.चंद्रदेई - दिसंबर जनवरी
2.धर्मगंज- जनवरी फरवरी
3.मदनपुर- फरवरी मार्च
4.शंकरपुर- मार्च अप्रैल
5.खबासपुर- सितंबर अक्टूबर
6.फारबिसगंज:अक्टूबर नवंबर

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