अररिया : जिला प्रशासन की फाइलों में महादलितों के लिए निर्धारित इंदिरा आवास का कोटा फुल है। सभी महादलित लाभुकों को इंदिरा आवास के लिए पैसे आवंटित कर दिये गये हैं। लेकिन अब तस्वीर का दूसरा पहलू देखिये! आईये, अररिया प्रखंड का रामपुर कोदरकट्टी गांव। यहां के आदिवासी टोले में एक भी इंदिरा आवास नहीं बना है। बल्कि इस आदिवासी टोले में एक भी पक्का घर है ही नहीं। तो क्या कागजों पर ही बन गये आवस? अररिया प्रखंड के बीडीओ नागेंद्र पासवान की मानें तो इस बार दो पंचायतों को छोड़ कर प्रखंड में कहीं भी एससी एसटी को इंदिरा आवास नहीं मिलेगा, उनका कोटा पूरा हो गया है। पूछने पर वे बताते हैं कि अररिया प्रखंड में मकान नहीं बनाने वाले साढ़े छह सौ से अधिक लाभुकों को लाल नोटिस दे दी गयी है। उनके विरूद्ध कार्रवाई की जायेगी। अब जरा लाभुकों की सुनें कि वो क्या कहते हैं?
रामपुर कोदरकट्टी के आदिवासी टोला के वीही हेंब्रम के शब्दों में पैसा तो मिला पर उसमें से देने वक्त ही दस हजार काट लिया। कहां से बनता घर? नरायण टुडु को तीस हजार में से बीस हजार ही मिला। ..ने शेष पैसा खा लिया। कैसे बनेगा घर? हां, टीन का छपरी जरूर दिये हैं। तलामय हांसदा और बोड़की मुर्मु की भी यही कहानी है कि उनके नाम पर पैसा उठा लेकिन, ..ने खा लिया।
वहीं, लखन मुर्मु, बिटकु सोरेन, संजय हांसदा, बबलू हांसदा, मोहन मरांडी, तलु टुडु सहित दर्जनों ऐसे लोग हैं जिन्हें आज तक आवास मद में कोई पैसा मिला ही नहीं। अब आप ही बताइये कि जब महादलितों का कोटा फुल हो गया तो उन्हें कौन देगा आवास ? बीडीओ साहब कहते हैं पैसा लेकर घर नहीं बनाने वालों पर कार्रवाई होगी। लेकिन जो बिचौलिये आदिवासियों को मिलने वाली राशि का आधे से अधिक खा गये उस पर कार्रवाई कौन करेगा?
इस पर बीडीओ नागेंद्र पासवान का कहना है कि प्रखंड में लगभग एक दर्जन बिचौलियों के खिलाफ कार्रवाई की गयी है। जो भी लाभुकों का हक मारेगा उसे बख्शा नहीं जायेगा।
इधर, पंचायत के मुखिया राजेश सिंह कहते हैं कि ताज्जुब इस बात का है कि पंचायत में करोड़ों रुपये आये लेकिन गरीबों का घर नहीं बना। उनके मुताबिक पूरे मामले की जांच होनी चाहिये और जिन लोगों या जनप्रतिनिधियों ने गरीबों का पैसा खाया है उन्हें जेल भेजा जाना चाहिये।
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