अररिया : मानव अंगों का अवैध कारोबार एक संगीन अपराध है जो लोग इस कारोबार में लगे हैं उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दिलानी चाहिए क्योंकि ये अप्राकृतिक अपराध है। हालांकि मानव अंगों के अवैध कारोबार मेट्रोपालिटन सिटी एवं बड़े-बड़े नर्सिग होम में अंजाम दिये जाते है। जहां अपराधी चिकित्सकों द्वारा इलाज के बहाने अंग निकाल लिए जाते हैं जिन्हें वो मोटी रकम में बेचकर करोड़ पति बन गए है। इस संबंध में अररिया के चिकित्सक डा. मोईज ने बताया कि मानव अंगों को तस्करी एक गंभीर अपराध है। हालांकि इसके लिए सरकार ने पूर्व से ही कठोर नियम बनाए हुए ह। लेकिन अंग प्रत्यारोपण संशोधन विधेयक 2009 में संसोधन कर इसे और कठोर बनाया गया। इसके तहत अब 10 वर्ष की सजा एवं एक करोड़ के जुर्माना का प्रावधान है। डा. मोईज ने बताया कि अंग प्रत्यारोपण में मुख्य रूप से किडनी एवं कोरनिया का सफल प्रत्यारोपन होता है। लेकिन अंग प्रत्यारोपण जब स्वेच्छा से अपने रिश्तेदारों द्वारा किया जाता है तो वो ठीक है। लेकिन मरीज को धोखा में रखकर उनके अंगों को निकालकर बेंचने का ये गोरखधंधा अपराध है। खासकर ऐसा घपला बड़े शहरों एवं बड़े-बड़े नर्सिग होम में होता है। वरिष्ठ अधिवक्ता सदरे आलम ने कहा कि इसके लिए पूर्व से कानून बने हुए है उसमें फिर से संशोधन कर और कठोर बनाया गया है। इस प्रकार का धंधा अप्राकृतिक अपराध है। हालांकि स्वेच्छा से अंग प्रत्यारोपण करने वाले लोगों को भी बहुत सारी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।
वरिष्ठ नागरिक और समाज सेवी वीरेन्द्र शरण कहते है कि यह अमीरों द्वारा गरीबों के साथ अमानवीय व्यवहार है। गरीब मजदूर पैसा के अभाव में अपना अंग बेच देते हैं ऐसे लोगों पर गहरी नजर रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस अमानवीय अपराध का जिम्मेदार पश्चिमी संस्कृति है जो वर्तमान में भारत को पूरी तरह अपनी गिरफ्त में ले लिया है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार रक्त कोष है ठीक उसी तरह अंग प्रत्यारोपण के लिए भी अंग कोष का निर्माण होना चाहिए। उन्होंने कहा मानव अंगों अवैध करोबार सबसे भ्रष्टाचार है। युवा वर्ग के साजिद अनवर एवं बीए की छात्रा आमना अफसा कहती है कि गरीबी का लाभ उठाकर मेडिकल माफिया इस धंधे को अंजाम दे रहे है। इसके जरूरी है कि बड़े-बड़े शहरों एवं नर्सिग होम पर कड़ी नजर रखी जाय तथा इस धंधे में संलिप्त लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाय।
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