Friday, April 29, 2011

कंट्रोलिंग सिस्टम के बिना ही चल रहा कंट्रोल रूम


फारबिसगंज (अररिया)  : राम भरोसे चल रहा है फारबिसगंज पावर सब स्टेशन। आमलोगों को किसी तरह बिजली मिल पा रही है। पावर सब स्टेशन में किसी दिन बड़ी घटना हो जाए तो यह महज संयोग अथवा अनायास ही नहीं होगा। वरीय अधिकारी की लापरवाही किसी दिन बड़ी घटना का कारण बन सकता है। पावर सब स्टेशन में व्याप्त कुव्यवस्था और लापरवाही के कारण कई लोग विद्युत स्पर्शाघात के शिकार हो चुके हैं। कार्यपालक विद्युत अभियंता सीताराम सिंह ने इसके लिए कर्मचारी की कमी बताया है।
कुव्यवस्था का आलम
फारबिसगंज पावर सब स्टेशन क्षेत्र के अंतर्गत पांच फीडर हैं-अस्पताल रोड, सदर रोड, जोगबनी, ढ़ोलबज्जा ग्रामीण तथा नरपतगंज फीडर। इनमें से तीन फीडरों अस्पताल रोड, सदर रोड तथा नरपतगंज फीडर के लिए पावर सब स्टेशन के कंट्रोल रूम में पैनल मशीन की व्यवस्था है। लेकिन अफसोस कि तीनों पैनल मशीन खराब है। शेष दो फीडरों के लिए पैनल मशीन है ही नहीं। अधिकारी द्वारा पैनल ठीक कराने का समुचित प्रयास नहीं किया गया।
क्या काम है पैनल मशीन का दरअसल पैनल मशीन किसी भी पावर सब स्टेशन का वह महत्वपूर्ण मशीन है जो विद्युत आपूर्ति के पूरे सिस्टम को कंट्रोल करता है। यदि संबंधित पैनल वाले फीडर के क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति के समय किसी भी व्यक्ति को विद्युत स्पर्शाघात हो जाए या गड़बडी पर कंट्रोल रूम में चालू पैनल स्वत: ही ट्रिप कर जायेगा और संबंधित फीडर में विद्युत आपूर्ति भी बंद हो जायेगी। लेकिन पैनल के खराब रहने के कारण फिलहाल ये तीनों फीडर काम नहीं कर रहे हैं। यहां के कंट्रोल रूम में कंट्रोलिंग सिस्टम नहीं है। क्षेत्र में कहीं पर तार टूटने, स्पर्शाघात या अन्य गड़बड़ी की सूचना कंट्रोल रूम में मिलने पर वहां बैठा एक मात्र विद्युत कर्मचारी कंट्रोल रूम से निकल वहां से सौ मीटर दूरी पर स्थित पावर ट्रांसफार्मर के पास जाकर बिजली की आपूर्ति बंद करेगा। इसके बाद शुरू होती है समस्या। प्राइवेट मिस्त्री को पकड़कर गड़बड़ी वाले स्थान पर समस्या को दुरूस्त करने का प्रयास किया जाता है। यहां तकनीकी ज्ञान के बिना होने वाले काम की गुणवत्ता का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। समस्या के काम चलाऊ समाधान के बाद कंट्रोल रूम में शुरू होती है जंग। अब विद्युत आपूर्ति बहाल करने के लिए कंट्रोल रूम का एक मात्र कर्मचारी किसी दो लोगों के आने के इंतजार के बाद आपूर्ति की बहाली की प्रक्रिया शुरू करता है। कल्पना कीजिये कि कर्मचारी को कोई भी दो सहयोगी कई घंटों तक यहां नही मिले तो आपूर्ति कैसे होगी? इस दौरान कोई अभियंता सहयोगी नहीं होते। पिछले महीने ही नगर परिषद का एक कर्मचारी ली अकादमी रोड में तार ठीक करने के दौरान बिजली की चपेट में आ गया। पैनल ट्रिप नहीं किया। कंट्रोल रूम में बिजली काटने में भी वक्त लग गया और नप कर्मी की हालत नाजुक हो गयी। प्रतिदिन शाम होते ही शहर-गांव में बिजली तार पर लोड बढने के साथ तार टूटने का सिलसिला शुरू हो जाता है। बताया जाता है कि कार्यपालक अभियंता सीताराम सिंह को चतुर्थ एवं तृतीय वर्ग के कर्मचारी समस्याओं से अवगत कराया, लेकिन कार्रवाई नगण्य। कर्मचारियों में इस व्यवस्था से आक्रोश है।

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