अररिया : किसी वक्त कांग्रेस का मजबूत गढ़ माने जाने वाले अररिया में पार्टी का बुरा हाल है। विगत दो दशक से सत्ता से दूर रही पार्टी की चुनावी जमीन खिसक चुकी है। वहीं, जिले में मुख्य विपक्ष की भूमिका में भी यह पार्टी पिछड़ गयी नजर आती है। अंतर्कलह से ग्रस्त पार्टी के बचेखुचे संगठन पर कब्जा जमाने के लिए कांग्रेसी आपस में ही भिड़े हुए नजर आते हैं।
रविवार को निर्धारित पार्टी जिलाध्यक्ष का चुनाव अंतर्कलह के कारण ही टाल दिया गया।
पार्टी के पूर्व संगठन मंत्री कुलानंद झा की मानें तो पार्टी का संगठन जमीनी हकीकत से दूर चला गया है। निष्ठावान कार्यकर्ताओं को जगह नहीं खुशामदी लोगों को तरजीह दी जा रही है। वहीं, वरिष्ठ नेता व सिकटी के पूर्व प्रखंड अध्यक्ष पवन लाल मंडल ने बताया कि जिलाध्यक्ष के चुनाव के लिए तैयार की गई सूची से ही स्पष्ट हो जाता है कि कांग्रेस के लिए समर्पित लोग दरकिनार कर दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि सिकटी में पद्मानंद मिश्र निर्विरोध प्रखंड अध्यक्ष चुने गये, लेकिन उनका नाम ही सूची में नहीं है। जबकि सियाराम मिश्र ने जिला डेलीगेट के लिए आवेदन किया था, उन्हें प्रखंड अध्यक्ष बना दिया गया है।
सूची के दोषपूर्ण होने की शिकायत लगातार प्राप्त हो रही है। सिकटी में क्रियाशील मेंबर के एक ही नंबर पर दो डेलीगेट बना दिए गए हैं।
इसी प्रकार की शिकायतें भरगामा व अन्य प्रखंडों में भी हैं।
अंतर्कलह के ताजा दौर में जिलाध्यक्ष पर कब्जा जमाना सभी गुटों की प्राथमिकता बन गयी है। डेढ़ सप्ताह पहले पार्टी कार्यालय में कांग्रेसियों की आपसी भिडंत के पीछे भी जिलाध्यक्ष पद पर कब्जा जमाने की होड़ प्रमुख कारण रही है।
जानकारी के मुताबिक इस पद के लिए सात नामांकन पड़ चुके हैं। इससे स्पष्ट है कि संगठन में सर्वानुमति का अभाव है और एकजुटता की यही कमी इस जिले में कांग्रेस को कमजोर बना रही है।
0 comments:
Post a Comment