कुर्साकांटा (अररिया) : विकलांगों को सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से सरकार उन्हें व्हील चेयर, वैशाखी, श्रवण यंत्र आदि संसाधन उपलब्ध करा रही है परंतु प्रत्येक वर्ष विकलांगों की संख्या में हो रही वृद्धि को रोकने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाये जा रहे हैं। जबकि विशेषज्ञों की मानें तो आयोडीन व पोषक तत्वों के कारण यहां विकलांगों की फौज तैयार हो रही है। गरीबी और अशिक्षा के कारण इलाके के लोग आयोडीन नमक के महत्व को नहीं समझ पा रहे हैं। फलस्वरूप अपंगता के बीज कोख में ही पड़ जाते हैं। प्रखंड मुख्यालय में प्रमाण पत्र के लिए आयोजित शिविर में विकलांगों की भारी भीड़ देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि विगत कुछ वर्षो में विकलांगों की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। गर्भवती महिलाओं के लिए चलायी जाने वाली जननी बाल सुरक्षा योजना एवं आईसीडीएस प्रोग्राम यहां जमीनी स्तर पर कारगर साबित नहीं हो रहे हैं। गर्भवती महिलाओं को आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां उपलब्ध नहीं हो पाती है। ऐसे में पोषक तत्व एवं उचित चिकित्सीय देख-रेख के अभाव में नवजात को विकलांग होने का खतरा बढ़ जाता है। प्रखंड के पहुंसी, कुआड़ी, जागीर परासी, रहटमीना, लक्ष्मीपुर आदि गांव विकलांगों से भरे पड़े है। जिसमें नवजात बच्चे, बढे़-बुढ़े और महिलाएं शामिल हैं। कई गांव के एक ही परिवार में कई विकलांग देखने को मिल रहे हैं। आज भी बाजारों में आयोडीन रहित नमक बिक रहे हैं। इसके लिए आवश्यक है लोगों को जागरूक करने की। विकलांगों की संख्या वृद्धि का अनुपात यही रहा तो जल्द ही इलाका विकलांग क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध होगा।
Tuesday, November 29, 2011
विकलांगों की बढ़ रही संख्या बज रही खतरे की घंटी
कुर्साकांटा (अररिया) : विकलांगों को सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से सरकार उन्हें व्हील चेयर, वैशाखी, श्रवण यंत्र आदि संसाधन उपलब्ध करा रही है परंतु प्रत्येक वर्ष विकलांगों की संख्या में हो रही वृद्धि को रोकने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाये जा रहे हैं। जबकि विशेषज्ञों की मानें तो आयोडीन व पोषक तत्वों के कारण यहां विकलांगों की फौज तैयार हो रही है। गरीबी और अशिक्षा के कारण इलाके के लोग आयोडीन नमक के महत्व को नहीं समझ पा रहे हैं। फलस्वरूप अपंगता के बीज कोख में ही पड़ जाते हैं। प्रखंड मुख्यालय में प्रमाण पत्र के लिए आयोजित शिविर में विकलांगों की भारी भीड़ देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि विगत कुछ वर्षो में विकलांगों की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। गर्भवती महिलाओं के लिए चलायी जाने वाली जननी बाल सुरक्षा योजना एवं आईसीडीएस प्रोग्राम यहां जमीनी स्तर पर कारगर साबित नहीं हो रहे हैं। गर्भवती महिलाओं को आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां उपलब्ध नहीं हो पाती है। ऐसे में पोषक तत्व एवं उचित चिकित्सीय देख-रेख के अभाव में नवजात को विकलांग होने का खतरा बढ़ जाता है। प्रखंड के पहुंसी, कुआड़ी, जागीर परासी, रहटमीना, लक्ष्मीपुर आदि गांव विकलांगों से भरे पड़े है। जिसमें नवजात बच्चे, बढे़-बुढ़े और महिलाएं शामिल हैं। कई गांव के एक ही परिवार में कई विकलांग देखने को मिल रहे हैं। आज भी बाजारों में आयोडीन रहित नमक बिक रहे हैं। इसके लिए आवश्यक है लोगों को जागरूक करने की। विकलांगों की संख्या वृद्धि का अनुपात यही रहा तो जल्द ही इलाका विकलांग क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध होगा।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment