रेणुग्राम (अररिया) : हल्दिया शेख टोला विद्यालय में भवन नहीं है। यहां के बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ते हैं। लेकिन यह एक ऐसा विद्यालय है जहां छात्रों की जिंदगी पर हर वक्त 'मौत' के तार झूलते हैं।
बहुत से ऐसे विद्यालय हैं जहां भवन के अभाव में छात्र पेड़ के नीचे या किसी के घर में बैठ कर शिक्षा ग्रहण करते हैं। लेकिन फारबिसगंज प्रखंड के अल्पसंख्यक बहुल गांव शेख टोला हल्दिया में स्थापित प्राथमिक विद्यालय न केवल भवनहीन है बल्कि इस स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे 329 बच्चे ग्यारह हजार वोल्ट वाली बिजली के तार के नीचे जमीन पर खुले आसमान में बैठ कर शिक्षा पाते हैं।
शिक्षा के नाम पर राज्य सरकार, केन्द्र सरकार नित नई-नई योजनाओं व नियमों को बना कर बच्चों के शिक्षा के प्रति गंभीर है। वहीं
विभागीय लापरवाही के चलते हल्दिया के विद्यालय में भवन नही बना है। जबकि विद्यालय की स्थापना हुए तीन वर्ष बीत चुके हैं। ग्रामीण सहयोग से स्कूल के लिए जमीन भी उपलब्ध हो चुकी है। आश्चर्य की बात तो यह है कि विद्यालय भवन तो आज तक नहीं बना लेकिन रसोई घर जरूर बन कर तैयार है। इस विद्यालय में वर्ग एक से पांच के छात्रों की पढ़ाई की व्यवस्था है। सबसे अधिक बच्चे वर्ग एक में है जिनकी संख्या 22 है। ये छोटे बच्चे ग्यारह हजार वोल्ट बिजली के झूलते तार के नीचे पढ़ते हैं। अगर कोई अनहोनी हो गई तो कौन देगा जवाब?
स्कूल में महादलित एवं अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र पढ़ते है। लेकिन छात्रों के अनुपात में शिक्षकों की संख्या सिर्फ तीन है। विद्यालय में अन्य सुविधाएं भी नदारद है। जाहिर है कि बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नही रहने के कारण शेख टोला हल्दिया के बच्चे गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा से अब भी कोसों दूर है।
ग्रामीण अभिभावक मो. निजामुद्दीन, मो. हासिम, मो. हेफाज, फरहत प्रवीण, लखन ऋषिदेव, युनुस आदि ने बताया कि बच्चों के सर पर हर वक्त खतरा बना रहता है। लेकिन मजबूरी है विद्यालय भेजना। पढ़ायें नहीं तो कैसे काम चलेगा? स्कूल की स्थापना हो गई लेकिन विभाग को इससे क्या मतलब है कि भवन बना या नहीं। स्कूल परिसर से गुजर रहे ग्यारह हजार के खूंटे व गुजरते तार कभी भी बड़े हादसे को जन्म दे सकते हैं।
0 comments:
Post a Comment