अररिया : जिले प्रवासी युवक जहां परदेस से प्रेमिकाओं को भगा कर ला रहे हैं, वहीं शादी की नीयत से लड़कियों के अपहरण व यौन शोषण के मामले भी लगातार सामने आ रहे हैं। पुलिस कप्तान शिवदीप लांडे कहते हैं कि पुलिस कानून के तहत मामलों से निपट रही है, लेकिन समस्या का सामाजिक समाधान बेहद जरूरी है।
पुलिस रिकार्ड में इस साल नवंबर तक अपहरण के 102 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। इनमें से नब्बे फीसदी प्रेम प्रसंग से जुड़े अपहरण (हनीमून किडनैंपिंग) के थे। अभिभावकों की ढिलाई के कारण किशोरवय लड़के- लड़कियां 'लव' के चक्कर में फंस जाते हैं और फिर बात थाने तक पहुंच जाती है। यद्यपि जानकारों की मानें तो जितने मामले थाने तक पहुंच रहे हैं, वास्तविक संख्या उससे कहीं अधिक है। प्रेम प्रसंग के ढेर सारे मामले गांव में ही निपट जाते हैं।
जोकीहाट थाने में कार्य कर चुके एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि इलाके में ऐसे दो दर्जन मामले हर माह सामने आते हैं, जिनमें से कुछ ही थाने तक पहुंचते हैं। शेष में पंचायती कर उसे ग्राम स्तर पर ही निपटा दिया जाता है। कमोबेश, यही स्थिति पूरे जिले की है। इन मामलों का एक पहलू और है। इसमें थानों के कथित दलाल अहम भूमिका निभाते हैं। इनमें कतिपय जनप्रतिनिधि भी शामिल होते हैं।
पूरी समस्या का चिंताजनक पहलू यह है कि दलाल किस्म के लोगों की नजर इन (अ) भागे प्रेमी युगलों की जमीन पर होती है। वे पैरवी के नाम पर पैसों की जुगाड़ करते हैं तथा उसके बदले में गरीबों से उनकी जमीन लिखवा लेते हैं।
प्रवासी युवकों द्वारा भगाई गई लड़कियों में सबकी किस्मत अच्छी नहीं होती। कुछ लड़कियां या तो मार दी जाती हैं या फिर देह व्यापार की मंडी में बेच दी जाती हैं। कुछ साल पहले पंजाब की एक लड़की प्रवासी श्रमिक के प्रेम में फंस कर यहां के सिकटी प्रखंड के एक गांव में चली आई। उस श्रमिक को पहले से भी एक बीबी थी। लिहाजा कुछ ही वक्त बाद उस लड़की को मार दिया गया। पूना के फरगुसन कॉलेज में पढ़ने वाली एक लड़की भी इसी तरह प्रेम के चक्कर में सिकटी पहुंच गई। जब उसे अपने प्रेमी की हकीकत का पता चला तो वह वापसी को छटपटाने लगी। कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उसे रिलीज करा वापस भिजवाया।
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