फारबिसगंज(अररिया) : स्थानीय सार्वजनिक रेणु पुस्तकालय में रविवार को प्रस्तावित सांप्रदायिक और लक्षित हिंसा अधिनियम 2011 पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। बिहार सांस्कृतिक विकास परिषद की फारबिसगंज शाखा द्वारा आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने इस अधिनियम को एक पूर्वाग्रही तथा विभाजनकारी प्रस्तावित कानून करार दिया। सेमिनार के मुख्य अतिथि पूर्व अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश झुलानंद झा ने कहा कि प्रस्तावित कानून अन्याय कारी है जो देश की एकता एवं अखंडता पर चोट कर सकता है। यह कानून हिंदुओं को कानूनी संरक्षण से वंचित करने जैसा होगा तथा सांप्रदायिक हिंसा के शिकार होने वाले हिंदुओं को दोयम दर्ज के नागरिक के रूप में देखा जायेगा। वहीं विशिष्ट अतिथि कर्नल अजीत दत्ता ने कहा कि यह प्रस्तावित कानून पंथ निरपेक्ष ढांचे पर प्रहार है। वक्ताओं ने कहा कि अधिनियम का लक्ष्य संप्रग सरकार का अल्पसंख्यक तुष्टिकरण है। जबकि हिंदू समाज में फुट डालकर अनुसूचित जाति जनजाति को हिंदुओं से अलग कर इसे अल्पसंख्यक बनाने का षडयंत्र भी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. मोतीलाल शर्मा ने की जबकि डा. प्रो. एनएल दास सहित अन्य ने प्रस्तावित सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा अधिनियम 2011 को खतरनाक बताते हुए इसकी घोर निंदा की। सेमिनार में विंदेश्वरी मेहता, सच्चिदानंद मेहता, रामकुमार केसरी, सीताराम चौधरी, मोहन कुमार, विभाष चंद्र मेहता, रंजीत सिंह, शंभू शरण तिवारी, प्रियवर्थ मेहता, अरूण सिंह, इंदू कुमारी सहित दर्जनों लोग मौजूद थे।
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