Friday, December 9, 2011

बुलंद हौसलों से हर मंजिल पड़ जाती है छोटी

रेणुग्राम (अररिया) : बुलंद इरादे के साथ अगर इंसान कुछ करना चाहे तो हर मुश्किल छोटी पड़ जाती है। कुछ कर गुजरने की तमन्ना, धैर्य व मजबूत जज्बे ने ही मुफलिसी में जी रहे अजीत ठाकुर को आम छात्रों से खास बना दिया। गांव से मजदूरी करने पंजाब गये अजीत ने चंडीगढ़ में पढ़ाई भी जारी रखी तथा 12वीं की परीक्षा में 76.8 प्रतिशत अंक हासिल कर सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
इसे जज्बा ही तो कहेंगे कि एक ओर गरीबी का दर्द और उस पर परदेश में रहने की चुभन, फिर भी इस होनहार ने अपनी मंजिल पर अर्जुन जैसी नजरें गड़ाये रखी और सफलता की पहली मंजिल फतह कर ली है। वह एक कामयाब इंजीनियर बनना चाहता है।
घर की आर्थिक तंगी के बावजूद इस नौजवान ने अपनी प्रतिभा की चमक से अपने गरीब माता-पिता और परिजनों के लिए आशा की किरण जगा दी है। घर से हजारों किलोमीटर दूरी पर रहकर भी वह अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर है। बिहार के अररिया जिले के फारबिसगंज प्रखंड के तिरसकुंड गांव से आने वाले गजेन्द्र ठाकुर वर्षो पूर्व गरीबी की वजह से गांव से दूर रोजी रोटी की तलाश में पंजाब के चंडीगढ़ चले गए जहां उन्होंने मजदूरी कर परिवार की जीविका चलाने के साथसाथ बेटे की पढ़ाई का भी ख्याल रखा। चंडीगढ़ के सेक्टर 32 स्थित सापिंस स्कुल से जीत ने 12वीं की परीक्षा में 76.8 प्रतिशत अंक हासिल कर अजीत ने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। अजीत के पिता ने बताया कि बचपन में वह हमारे साथ काम में हाथ बंटाता था लेकिन काफी प्रतिभाशाली था। वहां की सापिंश कम्यूनिटी सर्विस आर्गेनाइजेशन की चेयर पर्सन अनुराधा सापिंस ने अजीत की प्रतिभा को पहचाना और उसे जिंदगी की नई राह दिखायी। अनुराधा मैडम ने उसे स्कूल में दाखिला दिलाया।
इधर, अजीत ने बताया कि उसकी सफलता में एक अन्य टीचर राकेश सेतिया ने भी भरपूर योगदान किया है। इसी सफलता को लेकर अररिया के इस होनहार अजीत को स्कूल के प्रिंसीपल ने डेल कंपनी का लैपटाप उपहार में दिया। गांव आए अजीत ने जागरण से बातचीत में बताया कि उनका सपना एक कामयाब इंजीनियर बनने का है, ताकि वह अपने जिले का नाम रोशन कर सके।

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